आगि आंचि सहना सुगम, सुगम खडग की धार
नेह निबाहन ऐक रास, महा कठिन ब्यबहार।
अग्नि का ताप और तलवार की धार सहना आसान है
किंतु प्रेम का निरंतर समान रुप से निर्वाह अत्यंत कठिन कार्य है।
Aagi aanchi sahna sugam , sugam khadag ki dhar
Neh nibahan ek ras , maha kathin byabahar .
Bearing heat of fire is easy , the blade of sword is easy
Maintaining love in the same way is a very difficult practise .
कहाॅं भयो तन बिछुरै, दुरि बसये जो बास
नैना ही अंतर परा, प्रान तुमहारे पास।
शरीर बिछुड़ने और दूर में वसने से क्या होगा? केवल दृष्टि का अंतर है।
मेरा प्राण और मेरी आत्मा तुम्हारे पास है।
Kaha bhayo tan bichhurai , duri basai jo bas
Naina hi antar para , pran tumahare pas .
What happened if the body is separated and resides at distance
The only difference is of sight , the soul is near you .
नेह निबाहन कठिन है, सबसे निबहत नाहि
चढ़बो मोमे तुरंग पर, चलबो पाबक माहि।
प्रेम का निर्वाह अत्यंत कठिन है। सबों से इसको निभाना नहीं हो पाता है।
जैसे मोम के घोंड़े पर चढ़कर आग के बीच चलना असंभव होता है।
Neh nibahan kathin hai ,sabse nibhat nahi
Chadhbo mome turang par , chalbo pabak mahi .
Maintaining love is difficult , all cannot maintain it
Riding on a wax horse and like walking amidst fire .
प्रीत पुरानी ना होत है, जो उत्तम से लाग
सौ बरसा जल मैं रहे, पात्थर ना छोरे आग।
प्रेम कभी भी पुरानी नहीं होती यदि अच्छी तरह प्रेम की गई हो जैसे सौ वर्षो तक भी
वर्षा मंे रहने पर भी पथ्थर से आग अलग नहीं होता।
Preet purani na hot hai , jo uttam se lag
Sau barsa jal mein rahe , pather na chhore aag .
Love never becomes old if it indeed is love
Even if it is in rain for hundred years , the stone still ignites fire when rubbed.
प्रेम पंथ मे पग धरै, देत ना शीश डराय
सपने मोह ब्यापे नही, ताको जनम नसाय।
प्रेम के राह में पैर रखने वाले को अपने सिर काटने का डर नहीं होता।
उसे स्वप्न में भी भ्रम नहीं होता और उसके पुनर्जन्म का अंत हो जाता है।
Prem panth me pag dharai , det na shish darai
Sapne moh byape nahi , tako janam nasai
If you have stepped in on the road to love , do not look for shed for your head,
One who is in love is not in delusion even in sleep and his rebirth comes to an end.
प्रेम पियाला सो पिये शीश दक्षिना देय
लोभी शीश ना दे सके, नाम प्रेम का लेय।
प्रेम का प्याला केवल वही पी सकता है जो अपने सिर का वलिदान करने को तत्पर हो।
एक लोभी-लालची अपने सिर का वलिदान कभी नहीं दे सकता भले वह कितना भी प्रेम-प्रेम चिल्लाता हो।
Prem piyala so piye shish dakshina deya.
Lovi shish na de sake , nam prem ka leya .
Only he can drink the cup of love who can donate his head
A greedy can never sacrifice his head he can only howl the name of love .
प्रेम ना बारी उपजै प्रेम ना हाट बिकाय
राजा प्रजा जेहि रुचै,शीश देयी ले जाय।
प्रेम ना तो खेत में पैदा होता है और न हीं बाजार में विकता है।
राजा या प्रजा जो भी प्रेम का इच्छुक हो वह अपने सिर का यानि सर्वस्व त्याग कर प्रेम
प्राप्त कर सकता है। सिर का अर्थ गर्व या घमंड का त्याग प्रेम के लिये आवश्यक है।
Prem na bari upjai prem na hat bikaye
Raja parja jehi ruchai ,shish deyi le jaye .
Love is not produced in farm ,it is not sold in the market
The king or the subjects who so ever likes can have it on sacrificing his head.
प्रीति बहुत संसार मे, नाना बिधि की सोय
उत्तम प्रीति सो जानिय, हरि नाम से जो होय।
संसार में अपने प्रकार के प्रेम होते हैं। बहुत सारी चीजों से प्रेम किया जाता है।
पर सर्वोत्तम प्रेम वह है जो हरि के नाम से किया जाये।
Preeti bahut sansar me, nana bidhi ki soye
Uttam preeti so janiye, Hari nam se jo hoye .
There are various types of love in the world
The best type of love is that which is with the name of god.
प्रेम प्रेम सब कोई कहै, प्रेम ना चिन्है कोई
जा मारग हरि जी मिलै, प्रेम कहाये सोई।
सभी लोग प्रेम-प्रेम बोलते-कहते हैं परंतु प्रेम को कोई नहीं जानता है।
जिस मार्ग पर प्रभु का दर्शन हो जाये वही सच्चा प्रेम का मार्ग है।
Prem prem sab koi kahai , prem na chinhai koi
Ja marag Hari ji milay ,prem kahaye soi .
Everyone says he is in love,but no one knows true love
The road on which the God meets , is that true love .
प्रे्रेम भक्ति मे रचि रहै, मोक्ष मुक्ति फल पाय
सब्द माहि जब मिली रहै, नहि आबै नहि जाय।
जो प्रेम और भक्ति में रच-वस गया है उसे मुक्ति और मोझ का फल प्राप्त होता है।
जो सद्गुरु के शब्दों-उपदेशों से घुल मिल गया हो उसका पुनः जन्म या मरण नहीं होता है।
Prem bhakti me rachi rahai , moksh mukti fal paye
Sabd mahi jab mili rahai , nahi aabai nahi jaye .
One who is set in love and devotion , gets the fruit of salvation and liberation.
Who has mingled with the words , is not free from rebirth.
प्रेम प्रेम सब कोई कहै, प्रेम ना चिन्है कोई
आठ पहर भीना रहै, प्रेम कहाबै सोई।
सभी लोग प्रेम-प्रेम कहते है किंतु प्रेम को शायद हीं कोई जानता है।
यदि कोई व्यक्ति आठो पहर प्रेम में भीन्गा रहे तो उसका प्रेम सच्चा कहा जायेगा।
Prem prem sab koi kahey , prem na chinhai koi
Aath pahar bheena rahai , prem kahabai soi .
Everyone speaks of love but no one recognises love
If one is overwhelmed for twentyfour hours , so is called the love .
हम तुम्हरो सुमिरन करै, तुम हम चितबौ नाहि
सुमिरन मन की प्रीति है, सो मन तुम ही माहि।
हम ईश्वर का सुमिरण करते हैं परंतु प्रभु मेरी तरफ कभी नहीं देखते है।
सुमिरण मन का प्रेम है और मेरा मन सर्वदा तुम्हारे ही पास रहता है।
Hum tumhro sumiran karai ,tum hum chitbow nahi
Sumiran man ki preeti hai , so man tum hi mahi .
I always remember you but do not see to my side
Remembrance is the love of mind and that mind is always with you .
सौ जोजन साजन बसै, मानो हृदय मजहार
कपट सनेही आंगनै, जानो समुन्दर पार।
वह हृदय के पास हीं बैठा है। किंतु एक झूठा-कपटी प्रेमी अगर आंगन
में भी बसा है तो मानो वह समुद्र के उसपार बसा है।
Saw jojan sajan basai , mano hirday majhar
Kapat sanehi aaganai , jano samunder par .
My beloved lives hundred miles away but is felt inside the heart
But if the lover of a fraud lives in the courtyard , he is like in the other side of the sea .
साजन सनेही बहुत हैं, सुख मे मिलै अनेक
बिपति परै दुख बाटिये, सो लाखन मे ऐक।
सुख मे अनेक सज्जन एंव स्नेही बहुतायत से मिलते हैं पर विपत्ति में
दुख वाटने वाला लाखों मे एक ही मिलते हैं।
Sajan sanehi bahut hain ,sukh me milay anek
Bipati pare dukh batiye ,so lakhan me ek .
In comfort gentleman and affectionate we get many
But in distress to share pain , we get one in lacs .
यह तो घर है प्रेम का, उंचा अधिक ऐकांत
सीस काटि पग तर धरै, तब पैठे कोई संत।
यह घर प्रेम का है। बहुत उॅंचा और एकांत है। जो अपना शीश काट कर पैरों के नीचे रखने को तैयार हो
तभी कोई संत इस घर में प्रवेश कर सकता है। प्रेम के लिये सर्वाधिक त्याग की आवश्यकता है।
Yeh to ghar hai prem ka , uncha adhik ekant
Sis kati pag tar dhrai , tab paithe koi sant .
This is the home of love , very high and lonely
One who cuts his head and keeps under his feet , only then saint can enter into this house .
सही हेतु है तासु का, जाको हरि से टेक
टेक निबाहै देह भरि, रहै सबद मिलि ऐक।
ईश्वर से प्रेम ही वास्तविक प्रेम है। हमे अपने शक्तिभर इस प्रेम का निर्वाह करना चाहिये और
गुरु के निर्देशों का पूर्णतः पालन करना चाहिये।
Sahi het hai tasu ka , jake Hari se tek
Tek nibahai deh bhari ,rahai sabd mili ek .
He is in true love, one who loves the God
One should love with all his powers and should follow the guidelines of Guru fully .
हरि रसायन प्रेम रस, पीबत अधिक रसाल
कबीर पिबन दुरलभ है, मांगे शीश कलाल।
हरि नाम की दवा प्रेम रस के साथ पीने में अत्यंत मधुर है। कबीर कहते हैं कि इसे पीना
अत्यंत दुर्लभ है क्यों कि यह सिर रुपी अंहकार का त्याग मांगता है।
Hari rasayan prem ras , peebat aadhik rasal
Kabir piban durlav hai , mange shish kalal .
The medicine of god with juice of love is very sweet to drink
Kabir says its drinking is rare, it demands sacrifice of ones head .
सबै रसायन हम किया, प्रेम समान ना कोये
रंचक तन मे संचरै, सब तन कंचन होये।
समस्त दवाओं -साधनों का कबीर ने उपयोग किया परंतु प्रेम रुपी दवा के
बराबर कुछ भी नहीं है। प्रेम रुपी साधन का अल्प उपयोग भी हृदय में जिस रस का संचार
करता है उससे सम्पूर्ण शरीर स्र्वण समान उपयोगी हो जाता है।
Sabai rasayan hum kiya , prem saman na koye
Ranchak tan me sancharai , sab tan kanchan hoye .
I took all medicines but nothing is like love
Even if a little amount of it runs in the heart , the whole body turns gold .
यह तट वह तट ऐक है, ऐक प्रान दुइ गात
अपने जीये से जानिये, मेरे जीये की बात।
प्रेम की धनिष्टता होने पर प्रेमी और प्रिय दोनों एक हो जाते हैं। वस्तुतः वे एक प्राण और
दो शरीर हो जाते हैं। अपने हृदय की अवस्था जानकर अपने प्रेमी के हृदय की स्थिति जान जाते हैं।
Yah tat wah tat ek hai , ek pran dui gat
Apne jiye se janiye , mere jiye ki bat .
The lover and the beloved is one , one life and two bodies
I know from my own heart , the condition of his heart .
प्रे्रेम बिना धीरज नहि, विरह बिना वैैराग
ज्ञान बिना जावै नहि, मन मनसा का दाग।
धीरज से प्रभु का प्रेम प्राप्त हो सकता है। प्रभु से विरह की अनुभुति हीं बैराग्य को जन्म देता है।
प्रभु के ज्ञान बिना मन से इच्छाओं और मनोरथों को नहीं मिठाया जा सकता है।
Prem bina dhiraj nahi , virah bina vairag
Gyan bina jawai nahi , man mansa ka dag .
Love is not without patience ,renunciation is not without separation
The scar of mind and desire does not go without knowledge .
प्रे्रेम छिपाय ना छिपै, जा घट परगट होय
जो पाऐ मुख बोलै नहीं, नयन देत है रोय।
हृदय का प्रेम किसी भी प्रकार छिपाया नहीं जा सकता । वह मुहॅं से नहीं बोलता है पर उसकी आॅखे प्रेम की
विह्वलता के कारण रोने लगता है।
Prem chhipaya na chhipai ,ja ghat pargat hoye
Jo pai mukh bolai nahi ,nain det hai roye .
Love can never be concealed ,it becomes evident in heart
It does not speak from the mouth ,the eyes start weeping .
पीया चाहै प्रेम रस, राखा चाहै मान
दोय खड्ग ऐक म्यान मे, देखा सुना ना कान।
या तो आप प्रेम रस का पान करें या आंहकार को रखें। दोनों एक साथ संभव नहीं है
एक म्यान में दो तलवार रखने की बात न देखी गई है ना सुनी गई है।
Piya chahai prem ras , rakha chahai man
Doye khadag ek myan me , dekha suna na kan .
Either you drink the juice of love, or keep the pride
Two swords can never adjust in one sheath ,it has never been seen or heard .