एक मोर को अपनी खूबसूरती पर बडा घमंड था, वह रोज नदी किनारे जाता और पानी में अपनी परछाई देखकर बहुत खुश होता. वह कहता जरा मेरी पूछ तो देखो कितनी मनमोहक है. मैं दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूं.
एक दिन मोर को नदी किनारे एक सारस दिखाई दिया उसने सारस को देखकर अपेक्षा भाव से मूंह फेर लिया और उसका अपमान करते हुए बोला – कितने बदंरग पक्षी हो तुम, तुम्हारें पंख तो एकदम सादे और फिके हैं.
शरीर का रंग भी आकर्षक नहीं हैं, बिलकुल धूले कपडे जैसे लगते हो तुम. यह सुनकर सारस ने कहा – दोस्त माना कि तुम्हारें पंख सचमुच बहुत सुंदर हैं पर सुंदरता ही सबकुछ नहीं होती बात तो उपयोगिता की हैं तुम अपने पंखों से उंची उडान नहीं भर सकते जबकि मैं अपने पंखों से आसमान तक उंचाई तक उड सकता हूं देखों,
ऐसा कहकर सारस उडता हुआ आकाश में बहुत उंचाई पर जा पहूंचा मोर धरती पर उसे टुकुर-टुकुर देखता रह गया. वह समझ गया कि सुंदरता उतनी महत्वपूर्ण नहीं जितनी उपयोगिता.
वैसी खूबसूरती भी किस काम की जिससे हमें लाभ न हो, आज कल हर एक व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है, और वह ज्यादातर समय अपनी खूबसूरती को निखारने में लगा देता है जो की एक बिलकुल व्यर्थ है.
नैतिक सिख – अपना कीमती समय खूबसूरती को निखारने में नहीं बल्कि अपने गुणों को सवारने में लगाए. उस चीज को समय दै जिससे आपका भविष्य सुनहरा बनता हो. इसलिए अपनी सुंदरता पर ज्यादा ध्यान नहीं दें बल्कि अपने गुण और अपने कामो को सवारने पर ध्यान दें.