एक दिन बादशाह ने बीरबल से कहा, बीरबल कोई एक ऐसा आदमी ढूंढकर लाओं जो बुद्धिमानों से भी ज्यादा बुद्धिमान हो। जैसा हुक्म जहापनाहं! बहुत जल्दी ऐसा आदमी आपके सामने हाजिर कर दूंगा, पर इसके लिए समय और धन की जरुरत पडेगी। 500 स्वर्ण मोहरे ले लो और तुम्हे एक सप्ताह का समय दिया जाता है।
बीरबल समय और धन पाकर अपने घर पर आराम करने लगे। आधे से ज्यादा धन को उन्होंने दिन दुखीयों की सहायता में लगा दिया। सातवे दिन बीरबल ने इधर-उधर घुमकर गाय-भैस चराते हुए एक ग्वाले को पकडा उसे नहला धुलाकर अच्छे वस्त्र पहनाऐ । फिर सौ स्वर्ण मुद्राएं देकर उसे राज दरबार मं ले गये। साथ ही उसे रास्ते में अच्छी तर सिखा पढा दिया की वहां जाकर उसे क्या करना है ।
दरबार में पहुचकर ग्वाले ने निःशब्द हाथ जोडकर बादशाह को प्रणाम किया, उसके बाद बीरबल ने बादशाह से कहा आपके आदेशानुसार मैं बुद्धिमानों से भी बुद्धिमान व्यक्ति ले आया हूं ।
बादशाह ने ग्वाले से पूछा- तुम कहां रहते हो ? तुम्हारा नाम क्या है ? तुम कौन सा विशेष कार्य जानते हो ? बादशाह ने उससे प्रश्न पर प्रश्न किये परन्तु वह तो बीरबल द्वारा सीखा, पढ़ाकर लाया गया था। अतः उसनें कोई उत्तर नही दिया।
बादशाह सवाल करते रहे और वह व्यक्ति खामोशी से बैठा उनका चेहरा देखता रहा। बादशाह को लगा कि यह उनका अपमान है कि मैं बोलता जा रहा हूं और यह व्यक्ति खामोश है। जब उसकी ख़ामोशी उनसे और बर्दाश्त न हुई तो झल्लाकर वह बोले- यह तुम किस बेवकूफ को पकड लाये बीरबल ? यह गुंगा बहरा तो नही है? मेरे किसी प्रश्न का उत्तर इसने नहीं दिया।
तब बीरबल ने मुस्कुराकर कहा यह इसकी बुद्धिमतता हैं अन्नदाता, बुजू्रर्गो से इसने सुन रखा हैं कि राजा और अपने से अधिक बुद्धिमान व्यक्ति के सामने चुप रहने पर ही भलाई है।
इसलिए यह उन सुनी हुई बातों पर अमल कर रहा है । आपको शायद याद नही कि आपने मुझसे कहा था कि कोइ ऐसा व्यक्ति ढूंढकर लाओं जो बुद्धिमानों से भी बुद्धिमान हो । यह वही आदमी हैं बादशाह अकबर बीरबल की हाजिर जवाबी सुनकर मुस्कुराये और ग्वाले को इनाम देकर विदा किया।