अकबर बीरबल की खिचड़ी

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एक बार की बात हैं, सर्दी का मौसम था, अकबर और बीरबल तालाब के नजदीक टहल रहे थे | तभी बीरबल को यह विचार आया की मनुष्य पेसो के लिए कुछ भी कर सकता है |

बीरबल ने अपनी भावनाओ को अकबर के सामने व्यकत कि | तभी अकबर ने अपनी एक उंगली तालाब के पानी में डाली और झट से उंगली को बाहर निकाली क्योंकि पानी बहुत ठंडा था | और अकबर बोले मुझे नहीं लगता है की कोई व्यक्ति पेसो के लिए पूरी रात ऐसी ठण्ड में बिता दें |

बीरबल ने कहा ” में ऐसे इंसान का पता करूँगा जो की पेसो के लिए पूरी रात ऐसी ठण्ड में बिता दें | अकबर ने बीरबल को चुनौती दीया की अगर वह इसमें सफल हुआ तो उसे एक हजार सोने के सिक्के दीये जाएंगे |

एक दिन एक हारा हुआ गरिब इंसान बीरबल को मिला; बीरबल ने उसे पूरी बात बताई और उस व्यक्ति को राजी किया | फिर उस व्यक्ति को तालाब के यहाँ छोड़ दिया गया पूरी रात भर | अगली सुबह अकबर ने पहरेदारो को भिजवा कर उस व्यक्ति को दरबार में बुलवाया |  अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा क्या सच में तुमने पूरी रात तालाब के नजदीक गुजार दी | उस व्यक्ति ने
‘हां’ में उत्तर दिया | फिर अकबर ने पूछा तुम इसमें कामयाब कैसे हुए |

उस व्यक्ति ने कहा, जहाँ पर में खड़ा था उसके कुछ ही दुरी में एक दीप जल रहा था. मैं उसे रात भर देखता रहा | इस तरह देखने से मुझे ठण्ड का अहसास न हुआ और में कामयाब हो गया | अकबर ने कहा फिर तो तुम्हें कोई इनाम नहीं मिलेगा, तुमने बेमानी की है | वह गरीब व्यक्ति निराश होकर बीरबल के पास सहायता के लिए गया | अगले दिन, बीरबल दरबार नहीं गए |

अकबर आश्चर्यचकित हुए की आखिर बीरबल आज आये क्यों नहीं फिर उन्होंने बीरबल के घर सन्देश भिजवाया | बीरबल ने उत्तर में सन्देश भेजा, की जब तक उनकी खिचड़ी नहीं पकेगी वह दरबार में नहीं आएंगे |

अकबर ने बहुत देर तक इंतज़ार किया लेकिन बीरबल नहीं आये | अंत में अकबर ने बीरबल के घर जाने का निर्णय किया | घर पर जाकर अकबर ने देखा की बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं, और उस खिचड़ी को आग से दस हात ऊपर लटका रखी हैं |

यह दृश्य देख कर अकबर और उनके साथी गण हंस पड़े |  फिर अकबर ने बीरबल से कहा “खिंचड़ी को आग से पांच फिट ऊपर लटका कर कैसे पकाया जा सकता हैं, वह आग से इतनी दुरी पर है ? बीरबल ने उत्तर में कहा “अगर वह गरीब व्यक्ति तालाब के किनारे खड़े होकर दूर से जलती हुई दीपक से गर्मी पा सकता है तो फिर मेरी खिंचड़ी क्यों नहीं पक सकती, वह तो उससे भी नजदीकी पर है |”

अकबर समझ गए की बीरबल क्या कहना चाह रहे थे, अकबर ने अपनी गलती को स्वीकारा और उस गरीब व्यक्ति को इनाम से नवाजा |

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क्रमरहित सूची

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