ख्वाजासरा नामक एक हिजडा बादशाह अकबर का काफी मूंहलगा था. वह बीरबल से काफी चिढता था इसलिए हर वक्त बीरबल की बुराई करते हुए उनके कान भरा करता था. वह बीरबल को किसी न किसी बहाने दरबार से निकलवा देने की फिराक में रहता था.
एक दिन ख्वाजसरा ने बीरबल के खिलाफ बहुत सी बातें बादशाह के कानो में डालकर कहीं –
जहांपनाह आपने बैकार में ही बीरबल को अपने दरबार में रखा हुआ है. वह बडा हाजिर जवाब है, बादशाह बोले और हर बात का जवाब एकदम सटीक देता है. खाक जवाब देता है.
ख्वाजसरा बुरा सा मूंह बनाकर बोले. अगर वह इतना ही हाजिर जवाब हैं तो मेरे तीन सवालों को जवाब दे दें तब जानूं. तीन सवाल ? बादशाह ने उसे आश्चर्य से देखा.. हां अलीजहां! क्या सवाल है तुम्हारें ? बादशाह ने पूछा. पहला सवाल प्रथ्वी का बीज कहां है ? तारों की संख्या क्या है ? तीसरा सवाल दुनियाभर में कितने मर्द है और बच्चे है ?
यह सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल को तुरन्त दरबार में बुलाया और ख्वाजसरा के तीनों सवाल उनसे किये. बीरबल ने दो-चार पांव इधर-उधर रखकर एक स्थान पर खूंटी गाडी और कहा –
प्रथ्वी का बीज इस जगह पर है जो न माने वह माप लें, इसके बाद बीरबल एक भेढ को पकड लाये और उसे बादशाह के सामने खडा करके बोले – जहांपनाह इसके शरीर मे जितने बाल हैं उतने ही आकाश में तारें है ?
तीसरे सवाल का जवाब देते समय बीरबल मूस्कूराकर बोले – जहापनाह मर्द और औरतों का हिसाब इन हिजडों ने बिगाड रखा है, यह न मर्द हैं न औरत. यदि इन हिजडों को मरवा दिया जाये तो ठीक-ठीक हिसाब लग जायेगा. यह सुनते ही हिजडा ख्वाजसरा वहां से खिसक गया. बादशाह अकबर बीरबल की प्रशंसा करने लगे.