हजरत सिद्दीक अकबर रज़ी० खलीफा हो गए थे. उनके वेतन पर विचार किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मदीने में एक मजदूर की रोजाना की कमाई कितनी है… उतनी ही रक़म मेरे लिए भी तय कर दी जाये. यह सुन,साथियों में से कोई बोला- सिद्दीक इतनी कम रक़म में आपका गुज़ारा कैसे होगा ? हजरत सिद्दीक ने जवाब दिया- मेरा गुज़ारा उसी तरह होगा जिस तरह एक मजदूर का होता है. अगर न हुआ तो मैं मजदूरों की आमदनी बढ़ा दूंगा ताकि मेरा वेतन भी बढ़ जाये. जैसे-जैसे मजदूरों की मजदूरी बढ़ेगी मेरी ज़िन्दगी का स्तर भी बढ़ता जायेगा.
मजदूरों जैसी ज़िन्दगी
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चाणक्य नीति : तीसरा अध्याय
April 30, 2018
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- कबीर के दोहे – वाणी/Speech
- सारिपुत्र -जातक कथा
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- कछुआ और खरगोश
- दूसरा दीपक
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- छद्दन्द हाथी -जातक कथा
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- बुद्धिमान् वानर -जातक कथा
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- महान् मत्स्य -जातक कथा
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- कौवों की कहानी -जातक कथा
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- उल्लू का राज्याभिषेक -जातक कथा
- श्राद्ध-संभोजन -जातक कथा
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