एक दिन तुर्कीस्तान के बादशाह ने अकबर की बुद्धि की परीक्षा लेने का विचार किया. उसने एक दूत को पत्र देकर सीपाहींयों के
साथ दिल्ली भेजा, पत्र का आशय था बादशाह अकबर मुझे सुनने में आया हैं कि आपके इंडिया मे कोई ऐसा पेड़ होता हैं जिसके पत्ते खाने से मनुष्य की आयु बड जाती है. (प्राथना करने से क्या होता है, प्राथना करने के लाभ व प्राथना की शक्ति के बारे में यह कहानी एक सही उदाहरण हैं); अगर यह बात सच्ची हैं तो मेरे लिए उस आयुवर्धक पेड के थोडे से पत्ते भेज दें. बादशाह अकबर
पत्र को पढकर विचारमग्न हो गये, फिर बीरबल से राय करने के बाद सिपाहींयों सहित उस दूत को एक सदृढ़ किले में बंद करवा दिया.
इस प्रकार कैद हुए उनकों कई दिन हो गये, एक दिन बादशाह अकबर बीरबल को लेकर उन कैदियों को देखने गये, बादशाह को देखकर उनकों अपने मुक्त होने की आशा हुई लेकिन यह बात निर्मूल थी, अकबर उनके पास पहूंच कर बोले – तुम्हारा बादशाह जिस वस्तु को चाहता हैं वह मैं उसे तब तक नहीं दे सकता जब तक की इस मजबूत किले की 1-2 ईंट न ढह जायें.
उसी वक्त तुम लोग आजाद किये जाओगे. तुम्हें खाने-पीने की कोई तकलीफ नहीं होगी, मैंने उसका यथोचित प्रबंध करा दिया हैं इतना कहकर बादशाह चले गये लेकिन कैदियों की चिंता और बड गयी. वे अपने मुक्त होने का उपाय सोचने लगे.
कुछ देर तक चिंता में डूबे रहे आखिर में ईष्वर वंदना करने लगे है भगवान! क्या हम इस बंधन से मुक्त नहीं किये जायेंगे? क्या हमारा जन्म इस किले में बंद रहकर कष्ट भोगने के लिए हुआ है. आप दिननाथ हैं आप हम असहायों की भी सुध लीजिए.
जैसे-जैसे उन्हें अपने मुक्त होने की आशा क्षीण होती गई वैसे-वैसे वे रोजाना परमेश्वर से उस किले से मुक्ति के लिए प्रार्थना करने लगे. ईष्वर की दयालुता जग जाहिर है. एक दिन बडे जोंरों को भूकम्प आया और किले का कुछ भाग धाराशाई हो गया सामने का पर्वत भी टुटकर चकना चूर हो गया.
इस घटना के बाद दूत ने बादशाह के पास किला टुटने की सूचना भेजी, बादशाह को अपना वचन स्मरण हो आया वे उस दूत को उनके साथियों सहित दरबार में बुलाकर बोले-
आपको अपने बादशाह का आशय-विदित हो गया हैं और अब उसका उत्तर भी तुमने समझ लिया हैं अगर न समझे हो तो सुनो में उसे और भी साफ़ कर देता हूं देखो तुम लोग गिनती में केवल 100 हो और तुम्हारी आह (प्राथना) से ऐसा मजबूत किला ढह गया फिर जहां हजारों मुनष्यों पर आत्याचार हो रहा हो वहां के बादशाह की आयु कैसे बढेगी ? बल्कि दिनो-दिन घटती जायेगी
और जल्द ही लोगो की आह! से उसका पतन हो जायेगा.
हमारे राज्य में अत्याचार नहीं होता गरीब प्रजा पर अत्याचार न करना और भंलीभांति उसका पोषण ही आयुवर्धक वृक्ष है. बाकी सारी बातें मिथ्या है. इस तरह समझा बुझाकर बादशाह ने उस दूत को साथियों सहित तुर्किस्तान लौट जाने की आज्ञा दे दी.
उन्होंने तुर्कीस्तान में पहूंच कर सारी बातें अपने बादशाह को समझाई. अकबर की शिक्षा लेकर वह बादशाह दरबारीयों सहित उनकी बड़ी-बड़ी प्रशंसा करने लगा. अगर आप भी अपनी उम्र बढ़ाना चाहते है तो सभी व्यक्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करे.
ऐसा करने से सिर्फ उम्र ही नहीं बल्कि सुख, शांति, मान-सम्मान आदि सभी मिलते है. इसे सम्बन्ध में महान व्यक्तियों का भी कहना है की “आप जैसे दुसरो के साथ करोगे वैसा ही आपके साथ होगा” लोगों के दिमाग में नहीं दिल में जगह बनाओ.