किसी नगर में एक सेठ रहता था उसके दो बेटे थे, दोनों ही जवान और निकम्मे थे । सेठ स्वयं खुब मेहनत करता और बेटों से भी काम करने को कहता मगर बेटों पर उसकी बातों का कोई असर नही पडता था।
जब सेठ बुढा होकर मरने वाला था, तो उसने दोनों बेटों को पास बुलाकर कहा- मैं तुम दोनों को व्यापार करने के लिए थोडा-थोडा धन दे रहा हूं इसे लेकर कोई व्यापार शुरू कर दो पर ध्यान रहे, राह में तुम्हें एक दैत्य मिलेगा उससे बचना।
धन देने के लिए सेठ ने जैसे ही तिजोरी खोली, दोनों बेटों की नजर उस पर पडी तिजोरी हीरे, जवारात और सोने चांदी से भरी पडी थी। तिजोरी में इतना माल देखकर दोनों के दिल खिल उठे उन्होंने सोचा इतने धन से तो हम जिंदगीभर बैठे-बैठे खा सकते है । फिर भला हमें व्यापार करने जाने की क्या जरुरत है ? यह सोच दोनों व्यापार करने गये ही नहीं ।
जब पिता की मृत्यु हो गई तो बेटों ने सोचा यदि किसी तरह मैं अपने छोटे भाई का खात्मा कर दूं तो मैं सारी संपत्ति का वारिस बन जाउंगा उधर छोटे भाई के मन में भी ऐसा ही खयाल आया, क्यों न मैं अपने बडे भाई के भोजन में जहर मिला दूं पर जैसे ही वह जहरीला भोजन लेकर बडे भाई के पास पहूंचा वह पहले से ही तैयार बैठा था ।
छोटे भाई के आते ही वह उस पर टूट पडा और उसका गला दबोचकर मार डाला। छोटे भाई का लाया भोजन किया और पलंग पर लैट गया और बिस्तर पर ही ढेर हो गया ।
जहरीेले भोजन ने उसका काम तमाम कर दिया था । पिता ने ठीक ही कहा था कि दैत्य से बचना वह दैत्य कोई और न होकर संचित धन के लालच का ही तो था । अपने पिता के संकेत को दोनों बेटों में से कोई न समझ सका और अंत में दोनों को ही अपनी जान गवानी पडीं | ऐसा नहीं हैं की सिर्फ धन का लालच ही बुरा होता हो, लालच मात्र ही बुरा होता हैं | फिर चाहे वह किसी भी चीज से सम्बंधित क्यों न हो |
और ऐसा नहीं हैं की इस देत्य की मुलाक़ात सिर्फ इन दोनों निकम्मे लड़को से ही हुई हो | इस देत्य की मुलाकात सभी से होती, अगर आपके जीवन में यह देत्य अभी नहीं आया तो चिंता मत करें यह आएगा और आपको इसके आने की खबर भी नहीं लगेगी |