अंतर यही बिचारिया, साखी कहो कबीर
भौ सागर में जीव है, सुनि कै लागे तीर।
प्रभु ने कबीर को प्रेरणा दी कि स्वरुप बखान करें। हम सभी जीव जगत इस
सागर में डूब रहें है और इसे सुनकर हम इसेे पार कर सकते है।
Anter yahi bichariya,sakhi kaho Kabir
Bhau sagar mein jiv hai, suni kai lage teer.
Think it inside,Kabir says about the form
The soul is in the sea of world, one can cross it over on hearing.
आतम पूजा जीव दया पर आतम की सेवा
कहे कबीर हरि नाम भज सहज परम पद लेवा।
अंतरात्मा से प्रभु की पूजा, सभी जीवो पर दया और परमात्मा की सेवा करो।
कबीर कहते हं कि प्रभु के नाम का भजन करो इससे आसानी से उच्चतम स्थान प्राप्त होगा।
Aatam puja jiv daya par atam ki seva
Kahe Kabir Hari nam bhaj, sahaj param pad leva.
Worship in the soul,compassion for all and service to the God
Pray the name of God,you will easily get the highest state.
आन कथा अंतर परै, ब्रहम् जीव मे सोये
कहै कबीर येह दोश बर सुनि लिजेय सब कोय।
सांसारिक कथाओं के सुनने से ईश्वर एंव जीवों में दूरी बढ़ती है।
यह एक बड़ा दोष है इसे सब लोगों को सुनना एंव जानना चाहिये।
Aan katha antar parai,Brahm jiv me soye
Kahai Kabir yeh dosh bar,suni lijay sab koye.
The distance between God and men increases on hearing and sayings of worldly sayings.
Kabir says it is a defect,all should hear it.
कथा किरतन करन की, जाके निस दिन रीत
कहे कबीर वा दास को निश्चय कीजय प्रीत।
जो व्यक्ति नित्य रुप से प्रभु का कथा कीत्र्तन करता है-कबीर कहते हैं कि
प्रभु के उस दास से निश्चय ही प्रेम करना चाहिये।
Katha kirtan karan ki, jake njsh din reet
Kahe Kabir wa das ko,nischay kijay preet.
One who is regular in recital and concert of God daily
Kabir says you must love that slave of God.
कथा करो करतार की सुनो कथा करतार
आन कथा सुनिये नहीं कहै कबीर बिचार।
केवल परमात्त्मा की बात करो। एक मात्र परमात्मा की कथा सुनो। किसी अन्य बात या कथा
को मत सुनो। कबीर का यह सुविचार मत है।
Katha karo kartar ki,suno katha kartar
Aan katha suniye nahi, kahai Kabir bichar.
Recite the name of God,hear the name of God
Don’t hear any other advice,Kabir advises us all.
कथा करो करतार की निशदिन सांझ सकार
काम कथा को परि हरो, कहै कबीर बिचार।
नित्य प्रति सुवह शाम प्रभु के नाम का सुमिरण करो तथा अंय सांसारिक
कथाओं को त्याग दो। कबीर दास बहुत विचार कर सलाह देते हैं।
Katha karo kartar ki,nish din sanjh sakar
Kam katha ko pariharo,kahai Kabir vichar.
Recite the name of God daily in the morning and evening
Leave the sayings of worldly things,this is the sincere saying of Kabir.
कथा किरतन कलि विषय, भव सागर की नाव
कहै कबीर भव तरन को नाहि और उपाय।
इस कलयुग में भव सागर को पार करने के लिये कथा कीत्र्तन के अतिरिक्त अन्य कोई नाव नहीं है।
कबीर कहते हंै कि इस संसार में मोक्ष प्राप्त करने का दूसरा कोई उपाय नहीं है।
Katha kirtan kali vishey,bhav sagar ki naw
Kahey Kabir bhav taran ko, nahi aur upay.
The recital and concert of God is the only way to cross the sea of this world
Kabir says emancipation from the world has no other way out in this age.
कंचन काई ना लगे, आग ना कीड़ा खाय
बुरा भला होये वैषनु कदि ना नरके जाय।
सोना में कभी काई नहीं लगता और आग को भी कीड़ा नहीं खा सकता है।
इसी तरह वैष्णव बुरा या भला हो कभी नरक नहीं जा सकता है।
Kanchan kayee na lage,aag na kira khaye
Bura bhala hoye vaishnu,kadi na narkey jaye.
The gold never gets moss,the germ never eats the fire
A devotee of Vishnu may be good or bad,will never go to hell.
एैसी वानी बोलिये, मन का आपा खोये
औरन को शीतल करै आपहु शीतल होये।
ऐसी भाषा बोलें जिससे आपके मन-मिजाज का गर्व घमंड दूर हो जाये। इस से
अन्य लोगभी निर्मल और शीतल होंगे और आप भी शीतल और पवित्र हो जायेंगे।
Aaisi bani boliye,man ka aapa khoye
Auran ko shital kare,aapahu shital hoye.
Speak such a language leaving all pride of your mind
It cools down others,himself also becomes cool.
आबत गारी ऐक है, उलटत होय अनेक
कहै कबीर नहि उलटिये वाही ऐक का ऐक।
कोई एक गाली देता है तो उलटकर उसे भी गाली देने पर वह अनेक हो जाता है।
यदि उलट कर पुनः गाली नहीं दिया जाये तो वह एक का एक ही रह जाता है।
Aabat gari ek hai,ultat hoye anek
Kahai Kabir nahi ulatiye,wahi ek ka ek.
Incoming abuse is one,returning it becomes many
Kabir says never repeat abuse,it will remain only one.
अति हठ मत कर बाबरे, हठ से बात ना होये
ज्यों ज्यों भीजे कामरी, त्यों त्यों भारी होये।
मेरे प्रिये अत्यधिक जिद मत करो। हठ धर्मिता से कोई कोई बात नही बनती है।
कम्बल ज्यों ज्यों भीगंता है त्यों त्यों वह अधिक भारी होता जाता है।
Ati hath mat kar babre,hath se bat na hoye
Jyon jyon bhije kamri,tyon tyon bhari hoye.
Don’t be obstinate my dear nothing happens with obstinacy
As the blanket becomes wet,it becomes every time heavier.
कबीर आप ठगाइये, और न ठगिये कोई
आप ठगायै सुख उपजय, और ठगााये दुख होई।
कबीर कहते हैं कि आप ठगे जाॅंये तो कोई बात नहीं। आप किसी को मत ठगे।
आप ठगे जायेंगे तो सुख मिलेगा पर दूसरे को ठगने से आप को दुख होगा।
Kabir aap thagaiye,aur na thagiye koi
Aap thagai sukh upjay,aur thagai dukh hoye.
Kabir says you may get cheated but you don’t cheat others
If you are cheated happiness will come,if you cheat others unhappiness will emerge.
कबीर काहे को डरे, सिर पर सिरजनहार
हस्ती चढ़ी डरिये नहीं, कुकर भुसै हजार।
कबीर भला क्यों डरे जब उनके सिर पर सृजनहार प्रभु की छत्र छाया है।
हाथी पर चढ़ कर भला हजारों कुत्तों के भोंकने से भी क्या डर। हाथी ज्ञान वैराग्य का प्रतीक है।
Kabir kahe ko dare,sir par sirjanhar
Hasti chadhi dariye nahi,kukar bhusai hazar.
Kabir says why should you be afraid,God blesses you on your head
You are sitting on elephant,don’t be afraid even if thousands of dogs are barking.
कबीर खड़ा बजार मे, मांगे सबकी खैर
ना काहु से दोस्ती, ना काहु से बैर।
कबीर संसार के बाजार में खड़े होकर सबके कल्याण की कामना करते हैं।
उन्हें तो किसी से नहीं मित्रता है और नहीं किसी से शत्रुता। वे सबके लिये समता का भाव रखतें है।
Kabir khara bajar me,mange sabki khair
Na kahu se dosti, na kahu se bair.
Kabir is standing in the market,demands welfare of all
He is neither friend of anyone nor he has enmity with one.
काल काम ततकाल है, बुरा ना कीजै कोई
भलै भलाई पै लहै बुरे बुराई होई।
हमे अपने कर्मों का फल तुरंत मिलता है अतः किसी का बुरा नहीं करें।
भला करने का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल बुरा होता है।
Kaal kaam tatkaal hai ,bura na kijai koi
Bhalai bhalai pai lahai bure burai hoi.
The fruit of your deed you get immediate,don’t do any bad
The fruit of good deed is always good and bad deed bears bad fruit.
चतुर को चिंता धनी नहि मूरख को लाज
सर अवसर जाने नहीं पेट भरन सु काज।
एक चालाक व्यक्ति को हमेशा चिंता बनी रहती है और मूर्ख को कभी लज्जा नहीं आती है।
दोनों को समय-कुसमय अवसर की चिंता नहीं होती और उन्हें केवल अपना पेट भरने से मतलव रहता है।
Chatur ko chinta ghani,nahi murakh ko laaj
Sar awasar jane nahi,pet bharan su kaj.
A clever has many worries,an idiot do not have shame
Both do not recognise the time or untime,they only wish to fill their belly.
जीवत कोय समुझैय नहि, मुआ ना कह संदेश
तन मन से परिचय नहि, ताको क्या उपदेश।
कोई व्यक्ति जीवन काल में वास्तविक ज्ञान समझता नहीं है और मृत्यु के बाद उपदेश देना संभव नहीं है।
लोगों को अपने मन और शरीर के महत्व का ज्ञान नहीं है तब उसे क्या उपदेश देने की सार्थकता है।
Jibat koye samujhai nahi,mua na kah sandesh
Tan man se parichay nahi,tako kya updesh.
No one understands while living,a dead cannot advice
No one knows about his mind and body,what a dead can propagate.
जिनमे जितनी बुिद्ध है, तितनो देत बताय
वाको बुरा ना मानिये, और कहां से लाय।
जिसे जितना ज्ञान एंव बुद्धि है उतना वह बता देते हैं। तुम्हें उनका बुरा नहीं मानना चाहिये।
उससे अधिक वे कहाॅं से लावें। यहाॅं संतोंके ज्ञान प्राप्ति के संबंध में कहा गया है।
Jinme jitni budhi hai,titno det batai
Wake bura na maniye,aur kahan se lai.
One can tell only as much as he knows
Don’t mind ill of him,what more can he bring.
जिन ढ़ूढ़ा तिन पाईया, गहरे पानी पैठ
जो बउरा डूबन डरा, रहै किनारे बैठ।
जो गहरे पानी में डूब कर खोजेगा उसे ही मोती मिलेगा। जो डूबने से डर जायेगा
वह किनारे बैठा रह जायेगा। आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिये गहन साधना करनी पड़ती है।
Jin dhudha tin paiya,gahre pani paith
Jo baura duban dara,rahe kinare baith.
One who will search will get going inside the deep water
One who fears getting drowned will remain sitting on the side.
जहां ना जाको गुण लहै तहां ना ताको ठाव
धोबी बस के क्या करै, दिगम्बर के गांव।
जिस स्थान पर संत महात्मा एंव गुणी लोग नहीं हो वहाॅं रहना बसना उचित नहीं है।
नंगे दिगंबर लोगों के गाॅंव में धोबी बस कर क्या पायेगा। गुणी लोगों की संगति करनी चाहिये।
Jahan na jako gun lahai tahan na tako thaw
Dhobi bas ke kya kare,digambar ke gawn.
Where you don’t see the merit,don’t think to stay
What will the washerman do residing in the village of naked people.
जग मे बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होये
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोये।
इस संसार में तुम्हारा कोई शत्रु नहीं हो सकता यदि तुम्हारा हृदय पवित्र एंव शीतल है।
यदि तुम अपने घमंड और अहंकार को छोड़ दो तो सभी तुम्हारे उपर दयावान रहेंगे।
Jag me bairi koi nahi,jo man shital hoye
Ya aapa ko dari de, daya karai sab koye.
No one is your enemy in the world if your mind is pure and cool
If you leave your pride aside,everyone will have compassion for you.
जैसा घटा तैसा मता, घट घट और सुभाव
जा घठ हार ना जीत है, ता घट ब्रहम् समाय।
हृदय के अनुरुप ही विश्वास होता है। प्रत्येक हृदय का स्वभाव भिन्न है।
जिस हृदय में हार या जीत की अनुभूति नहीं होती है वहाॅं प्रभु का वास होता है।
Jaisa ghat taisa mata,ghat ghat aur subhav
Ja ghat Har na jeet hai,ta ghat Brahm samai.
As is the heart so is the faith,the nature of the heart is different
The heart which does not feel victory or defeat ,the God remains in that.
तीन तप मे ताप है, तिनका अंनत उपाय
आतम तप महाबली, संत बिना नहि जाय।
तीनों ताप में दुख है पर उनके उपाय हैं। परंतु आत्मा के ताप-ज्ञान की प्राप्ति प्रभु में साक्षातकार
बिना संत की संगति के संभव नहीं है। यहाॅं भौतिक ,दैहिक एंव दैविक ताप से अभिप्राय है।
Teen tap me taap hai,tinka anant upai
Aatam tap mahabali,sant bina nahi jaye.
There is pain in all three types of heat,they have infinite remedies
But the heat in the heart is very strong,it does not vanish without saint.
धरम किये धन ना घटय, नदी ना घटय नीर
अपनी आंखो देखलो यों कहि कथय कबीर।
धर्म पूर्वक जीवन यापन से धन नहीं घटता है। प्यासे को पानी पिलाने से नदी का जल कम नहीं होता
यह प्रत्यक्ष है। कबीर इस सत्य को अपनी आॅंखो देखने और विश्वास करने के लिये कहते है।
Dharam kiye dhan na ghatai,nadi na ghatai neer
Apni aakhon dekhi lo youn kahi kathain Kabir.
जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होये
जैसा पानी पीजिये तैसी बानी सोये।
तामसी भोजन से मन भी तामसी और सात्विक भोजन से मन भी सात्विक हो जाता है।
स्वच्छ और शीतल जल पीने से बोली-वाणी भी पवित्र और शीतल हो जाता है।
Jaisa bhojan khaiye,taisa hi man hoye
Jaisa pani pijiye, taisi bani soye.
As you eat your meal,so becomes your mind
As you drink the water,so is your speech.
जो जल बढ़ैय नाव मे, घर मे बढ़ैय दाम
दोनो हाथ उलीचिये येही सयानो काम।
यदि नाव में जल बढ़ने लगे और घर में धन की बृद्धि हो तो ज्ञानी-समझदार को
उसे दोंनो हाथों से खाली करना चाहिये। दान पुण्य से धन की कमी नहीं होती है।
Jo jal badhai naw me,ghar me badhai dam
Dono hath ulichiye,yehi sayano kam.
If the water in the boat and wealth in the house increase
You empty it with both the hands, this is the duty of the astute.
जो तोको कांटा बुबये ताको बो तू फूल
तोहि फूल को फूल है, वाको है तिरसूल।
जो तुम्हारे लिये काॅंटा बोये तुम उसके लिये फूल बोओ। तुम्हारा फूल तुम्हें फूल के रुप में मिल जायेगा परंतु उसका काॅंटा उसे तीन गुणा अधिक काॅंटा के रुप में मिलेगा। अच्छे कर्म का फल अच्छा बुरे का तीन गुणा बुरा फल मिलता है।
Jo toko kanta bubai,tako bo tu fool
Tohi fool ko fool hai,wako hai tirsool.
Who sows thorn for you, you sow flower for him
You will get the flower for yours , his thorn will become thrice thorny.
बंदे तू कर बंदगी तो पावै दीदार
औसर मानुस जनम का, बहुरि ना बारंबार।
हमे ईश्वर की भक्ति से उनका दुर्लभ दर्शन प्रप्त हो सकता है।
मानव जीवन का यह दुर्लभ अवसर बार-बार नहीं लौटेगा।
Bande tu kar bandgi,to pabai deedar
Aausar manush janam ka,bahuri na barambar.
Dear men if you pray you can view the God
This chance of our birth will not come again and again.
या दुनिया दो रोज की मत कर यासे हेत
हरि चरनन चित लाइये, जो पूरन सुख देत।
यह संसार दो दिनों का है। इससे प्रेम और आशक्ति मत करो।
ईश्वर के चरणों पर अपने चित्त को लगाओ तो तुम्हें पूर्ण सुख प्राप्त होगा।
Ya duniya do roj ki,mat kar yase het
Hari charnan chit layeeye,jo puran sukh det.
This is the world for two days,don’t have love and fascination for it
Attach your mind with God’s feet, this will give you complete happiness.
स्वामी है संग्रह करै, दुजै दिन का नीर
तारै ना तरै और को, यो कथि कहै कबीर।
कबीर कहते हैं जो संत दूसरे दिन के लिये भी जल का संगंह करता है वह न तो स्वंय मुक्ति
पा सकता है और नहीं अन्यों को इस भवसागर से मुक्त कर सकता है।
Swami hai sangrah karai,dujay din ka neer
Tarai na tarai aur ko,yo kathi kahai Kabir.
The saint who collects water even for the next day
Neither he can get emancipation himself nor can he emancipate others.
हार बड़ा हरि भजन करि, द्रव्य बड़ा कछु देह
अकल बरी उपकार करि, जीवन का फल येह।
इस शरीर की महानता प्रभु की भक्ति में है। धन का बड़प्पन दूसरों को देने में है।
ज्ञानी की उपयोगिता दूसरों के उपकार में है। इस जीवन की सार्थकता इसी में है।
Haar bara Hari bhajan kari,drabya bara kachhu deh
Akal bari upkar kari,jeevan ka fal yeha.
The greatness of body is in praying to God,the wealth is great in giving to others
The wisdom is great if it benifits others, this is the fruit of this life.