अजार धन अतीत का, गिरही करै आहार
निशचय होयी दरीदरी, कहै कबीर विचार।
सन्यासी को दान में प्राप्त धन यदि कोई गृहस्थ खाता है तो वह निश्चय ही दरिद्र हो जायेगा।
ऐसा कबीर का सुबिचारित मत है।
Ajar dhan aateet ka,girhi karai aahar
Nishchay hoyee daridri,kahai Kabir vichar.
The wealth of an ascetic is not liable to decay,if the householder eats it
It is sure to cause poverty,says Kabir with proper thought.
उजल देखि ना धिजिये, बग ज्यों मंदै ध्यान
डारै बैठै चापते सी,यों लै बूरै ज्ञान।
उज्जवल वेश देखकर विश्वास मत करो। बगुला नदी की धार के किनारे बैठ कर ध्यान लगाये रहता है
और मछली पकड़ कर खा जाता है। उसी तरह वह धोखे बाज भी साधु के वेश में तुम्हारे विवके का हरण कर सकता है।
Ujal dekhi na dhijiye,bug jyon mandai dhyan
Dharai baithi chapet si,youn lai burai gyan.
Do no blindly trust fair of face. Just as the fair duck silently catches and eats fish on the bank of river,
the fair looking cunning can snatch away your wisdom.
एैसी ठाठन ठाठिये, बहुरि ना येह तन होये
ज्ञान गुदरी ओढ़िये, काढ़ि ना सखि कोये।
एैसा वेश रहन सहन रखें की पुनःयह शरीर ना हो। पुनर्जन्म न हो।
तुम ज्ञान की गुदरी ओढ़ो जो तुम से कोई ले न सके छीन न सके।
Aaisi thathan thathiye,bahuri na yeh tan hoye
Gyan gudari odhiye,kadhi na sakhi koye.
You dress you body when as such you won’t get this body again
You should rather wrap it with the patched quilt of knowledge, which then no one can unwrap.
कबीर वेश अतीत का, अधिक करै अपराध
बाहिर दीशै साधु गति, अंतर बड़ा असाध।
कबीर कहते है की उसका वेश भूसा सन्यासी जैसा है किन्तु वह बड़ा अपराधी है।
बाहर से वह साधु जैसा करता है परन्तु अंदर से वह अत्यंत दुष्ट है। ऐसे वेश धारी साधुओं से सावधान रहना चाहिये।
Kabir vesh aateet ka,adhik karai apradh
Bahir deeshai sadhu gati,antar bara asadh.
Externally the dress is of an ascetic but within is the great offender
Outside like a saint but inside a great fraud.
कवि तो कोटिन कोटि है, सिर के मुंडै कोट
मन के मुंडै देख करि, ता सेग लीजय ओट।
कवि उपदेशक असंख्य है। सिर मुड़वाने वाले भी कड़ोरों है। परन्तु जिसने अपने मन को मुड़वा लिया हो-माया मोह
को मन से त्याग दिया हो-तुम उसकी शरण में जाओ।
Kavi to kotin koti hai,sir ke mundai kot
Man ke mundai dekh kari,ta sang leejay oat.
Preachers are in crores, those who have shaved heads are also in crores
After seeing one who has shaved his mind,take the shelter of the man.
कबीर वेश भगवंत का, माला तिलक बनाये
उनकों आबत देखि के, उठिकर मिलिये धाये।
कबीर कहते है की किसी भगवान के भक्त को माला तिलक के वेश में आता देख कर उठ कर दौड़ कर
उन से मिलें। उन की इज्जत प्रतिष्ठा करै।
Kabir vesh bhagbant ka,mala tilak banaye
Unkun aabat dekhi ke, uthikar miliye dhaye.
Kabir says if you see one dressed in devotee of God with rosary and mark on the forehead
Seeing him approach,stand and run to meet him.
कबीर वह तो एक है, पर्दा दिया वेश
भरम करम सब दूर कर, सब ही माहि अलेख।
कबीर कहते है की ईश्वर परम तत्व के रुप में एक है। उसने अनेक वेश भूसा में पर्दा कर दिया है।
सांसारिक कर्मो के भ्रम जाल को दूर कर देखो। वह परमात्मा सबों में बास करता है।
Kabir wah to ek hai,parda diya vesh
Bharam karam sab door kar,sab hi mahi alekh.
Kabir says He is the absolute one,only he has disguised in different dresses
Distancing all doubts of worldly duties, reside in that single one.
गिरही सेबै साधु को, साधु सुमिरै हरि
यामे धोखा कछु नाहि, सारै दौउ का करी ।
एक पारिवारिक गृहस्थ को संतों की सेवा करनी चाहिये और संत को केवल हरि का सुमिरन करना चाहिये।
इस में कोई भ्रम या धोखा नहीं है। दोनो का यही काम है और इसी मे दोंनो का कल्याण है।
Girhi sebai sadhu ko, sadhu sumirai Hari
Yame dhokha kachhu nahi,sarai dou ka kari.
A householder should serve the saint,the saint should remember god
There is no delusion in this,this is the proper duty of both.
जेता मीठा बोलना तेता साधु ना जान
पहिले थाह देखि करि, औंदेय देसी आन।
प्रत्येक मीठा बोलने वालों को साधु नहीं समझैं। प्रारम्भ में वे बहुत अपनापन दिखाते है और बाद में वे
दूसरा रुप लेलेते है।
Jeta meetha bolna teta sadhu na jan
Pahile thah dekhai kari,aunde desi aan.
One who speaks sweet, know him not to be a saint at all
Initially such a one shows kinsmanship,later takes a different form.
चतुराई हरि ना मिलय, येह बातों की बात
निसप्रेही निर्धार का, गाहक दीनानाथ।
चतुराई से प्रभु की प्राप्ति संभव नहीं है। यह एक मूल बात है।
एक निर्मोही एवं निराधार को प्रभु दीनानाथ अपना बना लेते है।
Chaturai Hari na milay,yeh baton ki bat
Nisprehi nirdhar ka,gahak Dinanath.
A clever won’t get God,this is the core of the matter
One without delusion will eventually get to buy of God.
चाल बकुल की चलत है, बहुरि कहाबै हंस
ते मुक्ता कैसे चुगे, परे काल की फांस।
जिसका चाल चलन बगुले की तरह छल कपट वाला है लेकिन संसार की नजर में वह हंस जैसा अच्छा कहलाता है-वह
मुक्ति का मोती नहीं चुग सकता है। वह मृत्यु के फांस में अवश्य गिरेगा।
Chal bakul ki chalat hai,bahuri kahabai hans
Te mukta kaise chuge,pare kal ki fanse.
His manners are fraudulent like duck,said to be a swan
How can he pick pearls, he will fall in the trap of death.
जप माला छापा तिलक, सरै ना ऐको करी
मन कंचे नाचे बृथा, संचे रचे हरि।
जप माला तिलक लगाना आदि से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है।
अपरिपक्व मन से माला गिनने और नाचने से नहीं होगा। प्रभु तो केवल सच्चे प्रेमी को ही मिलते है।
Jap mala chhapa tilak,sarai na eko kari
Man kanche nache britha,sanche rache Hari.
Muttering prayers,counting beads,printing mark do not fulfill any purpose
A crude mind uselessly dances, God adopts only the true.
जो मानुष गृहि धर्मयुत, राखै शील विचार
गुरुमुख बानी साधु संग, मन बच सेवा सार।
जो गृहस्थ धर्म में रह कर अच्छा विचार व्यवहार रखता है, गुरु के शिक्षा का पालन, साधु की संगति, मन वचन से
सेवा में रत रहता है-उसका गृस्थ जीवन सफल है।
Jo manush grihi dharmyut,rakhai sheel vichar
Gurumukh bani sadhu sang,man bach sewa sar.
A man who is religiously householder keeps virtuous character and thought.
Follow the teachings of Guru, keeps the company of saints.
One who is so devoted with mind,speech and service is a successful householder.
तन को जोगी सब करै, मन को करै ना कोये
सहजये सब सिधि पाइये, जो मन जोगी होये।
शरीर के लिये योगासन सभी करते है पर मन के लिये कोई नहीं करता।
यदि कोई मन का योगी हो जाये तो उसे समस्त सिद्धियाॅं उसे प्राप्त हो सकती है।
Tan ko jogi sab karai,man ko karai na koye
Sahjay sab sidhi paiye,jo man jogi hoye.
People practice yoga for body,no body does it for mind
He can be endowed with all powers,if he becomes yogi from mind.
दाढ़ी मूछ मूराय के, हुआ घोटम घोट
मन को क्यों नहीं मूरिये, जामै भरीया खोट।
दाढ़ी मूछ मुरबाकर साधु का वेश बना लेना सरल है। तुम अपने मन को मूर कर साफ करो
जिस में अनेक बिकार खोट अज्ञाान पाप भरा हुआ है।
Dadhi muchh murai ke,hua ghotam ghot
Man ko kyon nahi muriye,jame bhariya khot.
Having shaved moustache and beard adopts the dress of a hermit
Why don’t you shave your mind which is filled with vice.
बैरागी बिरकत भला, गिरा परा फल खाये
सरिता को पानी पिये, गिरही द्वार ना जाये।
संसार की इच्छाओं से बिरक्त संत अच्छे है जो जंगल के गिरे हुऐ फल खा कर एंव नदी का जल पीकर
निर्वाह करते है। परंतु किसी गृहस्थ के द्वार पर कुछ मांगने नहीं जाते है।
Bairagi birkat bhala,gira para fal khaye
Sarita ko pani piye,girhi dwar na jaye.
A saint free from worldly attachment is good,eats fallen untouched fruits
Drinks water from the river but never goes to the door of householder.
बैरागी बिरकत भला, गिरही चित्त उदार
दौ चुकि खालि परै, ताको वार ना पार।
जसि संत की इच्छायें मिट चुकी है और जो गृहस्थ उदार मन का है।
यदि इन दोंनो में ये गुण नहीं है तो वे व्यर्थ है। वे इस संसार सागर को पार करने में असमर्थ रहते है।
Bairagi birkat bhala,girhi chitt udar
Dou chuki khali parai,tako war na par.
A saint who is a recluse is good,a generous householder is also good
If they default from their merits,they become empty,they are not able to cross.
बाना देखि बंदिये, नहि करनी सो काम
नीलकंठ किड़ा चुगै, दर्शन ही सो काम।
संत की वेश भूषा देख कर उन्हें प्रणाम करैं। उनके कर्मों से हमारा कोई मतलव नहीं है।
नीलकंठ पक्षी कीडा चुगता है। पर उसका दर्शण ही शुभ पून्य कारक होता है।
Bana dekhi bandiye,nahi karni so kam
Neelkanth kira chugai,darshan hi so kam.
Seeing garbed salute him ,no need of judging his deeds
The magpie picks up the worm but still then its sight is auspicious.
भूला भसम रमाय के, मिटी ना मन की चाह
जो सिक्का नहि सांच का, तब लग जोगी नाहं।
अपने शरीर में भस्म लगा कर जो भूल गया है पर जिसके मन की इच्छायें नहीं मिटी है-वह सच्चा
सिक्का नहीं है वह वास्तव में योगी संत नहीं है।
Bhula bhasam ramai ke,miti na man ki chah
Jo sikka nahi sanch ka,tab lag jogi nahn.
Even though he is sported in ash, has not killed his mental desires
Such a coin is not real and such a person is not a perfect saint.
भरम ना भागै जीव का, बहुतक धरिये भेश
सतगुरु मिलिया बाहिरे, अंतर रहा अलेख।
प्राणियों का भ्रम जब तक नही मिटता है-भलेही वह अनेक वेश भूषा रख ले-उसे ईश्वर की प्राप्ति
वाह्य जगत में भले मिल जाये पर उसकी अंतरात्मा खाली ही रह जाती है।
Bharam na bhagai jiv ka,bahutak dhariya bhesh
Satguru miliya bahire,anter raha alekh.
The doubts of the being have not gone,has kept many garbs
The God we got in outside,the inner soul has remained empty.
भेश देखि मत भुलिये, बुझि लिजिये ज्ञान
बिन कसौटी होत नहि, कंचन की पेहचान।
संत की वेश भूषा देख कर शंकित मत हो। पहले उनके ज्ञान के संबंध में समझ बुझ लो
सोने की पहचान बिना कसौटी पर जाॅच किये नहीं हो सकती है।
Bhesh dekhi mat bhuliye,bujhi lijiye gyan
Bin kasauti hot nahi,kanchan ki pehchan.
Don’t be misled,know his knowledge first
Without testing on the touchstone,you can never recognise the gold.
माला बनाये काठ की, बिच मे डारा सूत
माला बिचारी क्या करै, फेरनहार कपूत।
लकड़ी के माला के बीच में धागा डाला गया। परंतु वह माला बेचारा क्या करें।
यदि माला फेरने वाला ही बुरे चरित्र का कपूत हो। प्रभु के स्मरण के लिये उत्तम चरित्र का पात्र आवस्यक है।
Mala banai kath ki,bitch me dara soot
Mala bichari kya karai,feranhar kapoot.
The rosary is made of woods in between we put in thread
What the helpless rosary can do,if the meander is a son of bad character.
मुंड मुराये हरि मिले, सब कोई लेहि मुराये
बार बार के मुंडने, भेर ना बैकुंठ जाये।
यदि सिर मुड़ाने से ईश्वर मिलते तो सभी लोग अपना सिर मुड़ा लेते। अनेक बार बाल मुड़ाने से भी भेडको
वैकुण्ढ़ स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती है।
Mund muraye Hari mile,sab koi lehi muraye
Bar bar ke mundne,bher na baikunth jaye.
If the shaving of head gets God,everyone will shave themselves
The of many a time,the sheep does not go to heaven.
मीठे बोल जु बोलिये, तेते साधु ना जान
पहिले स्वांग दिखाय के, पिछे दीशै आन।
सभी मीठे वचन बोलने वालो को साधु मत समझें। पहले वे अपना स्वांग नौटंकी कलाबाजी दिखाकर
आकर्सित करते है-पीछे धोखा देकर लोगों को ठगते है।
Meethe bol ju boliye,tete sadhu na jan
Pahile swang dikhay ke,pichhey deeshai aan.
One who speaks sweet words,don’t know him a saint
First he shows his acrobatics,later he gives a dodge.
माला पहिरै कौन गुन, मन दुबिधा नहि जाये
मन माला करि राखिये, गुरु चरणन चित लाये।
माला पहनने से कोई लाभ नहीं है-यदि मत की आसंकाये, भ्रम, दुबिधा नहीं मिटते है।
अपने मन को ही माला बना कर रखें और गुरु के चरणों में अपने चित्त मन को लगावें।
Mala pahiray kaun gun, man dubidha nahi jaye
Man mala kari rakhiye,Guru charnan chit laye.
What good is wearing rosary,if the doubts of the mind do not go
You make the mind your rosary and devote your mind on Guru’s feet.
साधु भया तो क्या हुआ, माला पहिरि चार
बाहर भेश बनायिया, भीतर भरि भंगार।
अगर चार मालायें पहन कर साधु हुये तो क्या हुआ?
बाहर तो साधु का वेश बना लिया पर अंदर तो बुराईयों का भंडार भरा है।
Sadhu bhaya to kya hua,mala pahiri char
Bahar bhesh banayiya,bhitar bhari bhangar.
What good it is to become a saint wearing four rosaries
You have made the outer garb but inside there is a store of wickedness.
हम तो जोगी मनहि के, तन के हैं ते और
मन को जोग लगाबतों, दशा भयि कछु और।
शरीर के योगी अत्य लोग है। हम तो मन के योगी है। यदि मन का योग किया जाये तो हमारी दशा
हालत कुछ भिन्न प्रकार की हो जाती है।
Hum to jogi manahi ke,tan ke hain te aur
Man ko jog lagabaton,dasha bhayee kachhu aur.
I am an ascetic of mind,there are others of the body
If one unites the mind in it,the condition becomes different.