कबीर के दोहे – तलाश/Search

loading...

भक्ति महल बहुत उॅच है दूरैहि ते दर्शाय
जो कोइ जन भक्ति करै शोभा बरनि ना जाई।

ईश्वर भक्ति का महल बहुत उॅंचा है। यह बहुत दूर से ही दिखाई पड़ता है।
जो भी ईश्वर भक्ति में लीन हैं लोग उसके गुणों की ओर सहज हीं आकर्षित होते हैं।

Bhakti mahal bahut unch hai durahi te darshay
Jo koi jan bhakti karai shobha barani na jay.

The palace of devotion is very high , it is seen from far
Whosoever is devoted to God , his grace is beyond description.

कस्तुरी कुंडल बसै,मृग ढूढ़ै वन माहि
ऐसे घट घट हरि हैं,दुनिया देखे नाहि।

मृग के नाभि में कस्तुरी रहता है पर वह जंगल में ढूंढ़तेे रहती है।
ईश्वर सर्वत्र वत्र्तमान हैं परंतु दुनिया उन्हें देख नहीं पाती है।

Kasturi kundali basai, mrig dhundai van mahi
Aaise ghat ghat Hari hain , duniya dekhe nahi.

The musk is in umbilicus , the deer searches in the forest
Same way God is omnipresent , the world does not see Him.

ज्यों नैना में पुतली त्यों खालिक घट माहि
मुरखि लोग ना जानही बाहरि ढूंढ़न जाहि।

जिस प्रकार पुतली आॅंख में रहती है उसी प्रकार प्रभु प्रत्येक घर-धर में वसते हैं।
मूर्ख लोग इसे नहीं जानते और उन्हें बाहर ढूंढ़ने जाते हैं।

Jyon naina me putli tyon khalik ghat mahin
Murakhi log na janhi bahari dhudhan jahin.

As the pupil is in the eye so is the God in everything
The fools do not know it and go outside to search for Him.

प्रेम ना खेती उपजय प्रेम ना हाट बिकाय
राजा प्रजा जिस रुचै सिर दे सो ले जाय।

प्रेम न तो खेत में उपजता है और नहीं यह बाजार में बिकता है।
राजा या प्रजा जो भी प्रेम प्राप्त करना चाहता है उसे अपना सर्वस्व त्याग करने को तत्पर रहना चाहिये।

Prem na kheti upjay prem na hat bikay
Raja parja jis ruchai sir de so ley jay.

Love is neither grown in farm nor is sold in the market
King or the subject whosoever likes can get it on sacrificing his head.

जब मन लागा लोभ सां,गया विषय मैं भोय
कही कबीर विचारि के, केहि प्रकार धन होय।

जब हमारा मन लोभ-लालच में डूबा रहता है तो हम बिषय-बासना,ईच्छा में डूबते जातें हैं।
कबीर का स्पष्ट मत कि तब हमें धन नहीं प्राप्त हो सकता है।

Jab man laga lobh soin, gaya vishay main bhoy
Kahain Kabir vichari ke , kehi prakar dhan hoye.

When the mind is absorbed in lust, the desire engulfs us completely
Kabir wonders, how such one can have any wealth.

तिमिर गया रवि देखते कुमति गयी गुरु ज्ञान
सुमति गयी अति लोभते, भक्ति गयी अभिमान।

सूर्य दिखाई देने पर अंधकार का नाश हो जाता है। कुविचार का अंत गुरु के ज्ञान से संभव है।
सुबुद्धि का लोप लोभ के कारण होता है और भक्ति का नाश अभिमान के कारण होता है।

Timir gaya ravi dekhte kumati gayi guru gyan
Sumati gayi aati lovte , bhakti gayai bhiman.

Darkness disappears as sun emerges, immorality disappears on enlightenment by a guru.
Good sense disappears with greed, devotion goes with pride.

कबीर मंदिर लाख का जरिया हीरा लाल
दिबस चारि का पेखना, विनशि जायेगा काल।

कबीर के अनुसार शरीर लाह कर मंदिर है जिसमे हीरा और लाल जड़े गये हैं।
किंतु यह नश्वर शरीर चार दिनों का खेल है कारण यह शीघ्र काल के गाल में समा जायेगा।

Kabir mandir lakh ka jariya heera lal
Dibas chari ka pekhana , vinashi jayega kal.

This body is made of lac, set with jewels like diamond
It is just a show of four days as the death will devour it soon.

कबीर यह संसार है जैसे सेमल फूल
दिन दस के व्यवहार मे, झूठे रंग ना फूल।

यह संसार सेमल के फूल सदृश्य दस दिनों के व्यवहार में रंग गायव और मुरझा जाता है।
संसार नश्वर है। हमें इसके आकर्षण में जीवन को नहीं गॅंवाना चाहिये।

Kabir yeh sansar hai jaisa semal fool
Din das ke bayabhar mein, jhuthe rang na fool.

Kabir says this world is like silk cotton flower
After ten days of use the colour fades and the flower withers.

कबीर पानी हौज का, देखत गया बिलाय
यैसे ही जीव जायेगा काल जो पंहुचै आय।

जिस प्रकार टंकी का जल देखते-दखते सूख जाता है उसी तरह काल के आने पर शरीर से जीवन का पलायन हो जाता है।
अतः इस क्षण भंगुर जीवन का मोह उचित नहीं है।

Kabir pani hauj ka, dekhat gaya bilaye
Yaise hi jeev jayega kaal ju pahucha aaye.

As the water in the tank disappears soon after viewing
Same way the life in the body disappears the moment death reach.

मन मक्का दिल द्वारिका, काया कासी जान
दस द्वारै का देहरा, तामै ज्योति पीछान।

अपने मन को मक्का,दिल को द्वारिका और शरीर को काशी जानो।
यह शरीर दस द्वारों का है जिसके अंतरतम हृदय में प्रभु का वास है।

Man mecca dil dwarika , kaya kasi jan
Das dware ka dehra, tame joti pichhan.

Know the mind as mecca, heart as dwarika and the body as kasi
The body has ten doors wherein the God resides in the soul.

तीरथ वरत करि जग मुआ, जुरै पानि नहाय
हरि नाम जाने बिना, काल जुगन जुग खाय।

र्तीथ,व्रत एंव स्नान करते-करते संसार मृत प्राय हे किंतु बिना हरि का नाम जाने ही।
जन्म एंव मृत्यु का चक्र निरंतर जारी है। बिना ईश्वर को जाने मुक्ति संभव नहीं।

Tirath vrat kari jag mua, jure pani nahaye
Hari nam jane bina, kal jugan jug khaye.

Doing pilgrimage, fasting and bathing, the world is dying
without knowing the name of Hari the cycle of life and death continues.

जबहि हरि हृदय धरा, भया पाप का नाश
मानो चिंगी आग की, परी पुराने घास।

ज्योंही हृदय में हरि को धारन किया, समस्त पापों का समूल नाश होगया
जैसे की आग की एक चिंगारी से पुराने सूखे घास जलकर समाप्त हो जाते हैं।

Jabahi Hari hirday dhara, bhaya pap ka nash
Mano chingi aag ki, pari purane ghas.

The moment God is kept in the heart, vices are destroyed
As if a spark of the fire has fallen on the dry old grass.

सब बन तो चंदन नहीं, सूरा के दल नाहि
सब समुंद्र मोती नहीं, यूॅं साधु जग माहि।

दुनिया के सभी जंगलों में चंदन नहीं होते, वीरों का दल नहीं होता।
सभी समुद्रों में मोती नहीं पाये जाते। इसी प्रकार संसार के सभी साधु ज्ञानी नहीं होते।

Sab ban to chandan nahi , sura ke dal naahi
Sab samundra moti nahi, youn sadhu jag maahi.

All the forest are not sandal, all the men are not brave
All the seas do not have pearl, all the saints are not wise.

वेद पुरान सब झूठ हैं, उसमे देखा पोल
अनुभव की है बात कबीरा, घट पर्दा देखा खोल।

वेद पुराण आदि धर्मग्रंथ झूठ के पुलिन्दा हैं। कबीर ने उसमे धर्म के पोल देखे हैं।
कबीर ने अनुभव किया है। अपने हृदय के परदे को हटा कर देखने से साक्षात ईश्वर का दर्शन संभव हैं।

Ved puran sab jhuth hain , usme dekha pole
Anubhav ki hai bat Kabira, ghat parda dekha khol.

Vedas and puranas are all farce seen the falsehood therein
Kabir says it is the matter of experience, just open the curtain to see.

माया कू माया मिले कर कर लम्बे हाथ
निसप्रेही निरधार को गाहक दीनानाथ।

एक संसारी धनी जब दूसरे धनी से मिलता है तो वह प्रेम भरी बातें करता है
पर निष्कामी और पुण्यात्मा से केवल परमात्मा ही प्रेम करता है।

Maya koo maya mile kar kar lambe hath
Nisprehi niradhar ko gahak dinanath.

When the rich meets rich, they talk lovingly
The selfless and pious have only the Almighty to save.

कबीर मुख सोई भला, जो मुख निकसै हरि
जा मुख हरि ना निकसै, ता मुख है किस करी।

कबीर के अनुसार जिस मुख से हरि का नाम लिया जाता है-वह मुख अच्छा है
जिस मुख से हरि नाम का उच्चारण नहीं किया जाता है-वह मुख व्यर्थ है।

Kabir mukh soi bhala, jo mukh niksai Hari
Ja mukh Hari na niksai, ta mukh hai kis kari.

The mouth which speaks God is good
The mouth which does not speak God is worthless.

सांचै कोई ना पतियाय,झूठे जग पतियाय
गली गली गोरस फिरै, मदिरा बैठ बिकाय।

सत्य पर कोई विश्वास नहीं करता और झूठ पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं।
गाय के दूध को गली -गली में धूम कर बेचना पड़ता है पर मदिरा एक जगह बैंठ कर हीं बिक जाता है।

Sanchai koi na patiyaye, jhuthe jag patiyay
Gali gali goras firai , madira baith bikay.

No one believes the truth everyone believes the false
Cows milk is sold running from street to street but wine is sold sitting at one place.

भक्ति भाव भादो नदी,सबहि चले गहराय
सरिता सोइ सराहिये जेठ मास ठहराय।

भादों में सभी नदी उफान पर रहती है किंतु जेठ में जो नदी भरी हुई हो-उसी का महत्व है।
भक्ति भाव की तुलना भादो के नदी से नहीं जेठ मास की नदी से करनी चाहिये। दिखावटी भक्ति को सच्चा नहीं कहा जा सकता।

Bhakti bhaw bhado nadi, sabahi chale ghahray
Sarita soi sarahiye jeth mas thahrai.

Devotion and feeling is not the river of bhado in which they are full
That river is praised which is full in jeth also.

कबीर गर्व ना कीजिये, रंक ना हसिये कोई
अजहु नाव समूद्र में, ना जानों क्या होई।

मनुष्य का अपने धन का अभिमान नहीं करना चाहिये। किसीकी निर्धनता का मजाक नहीं करना चाहिये।
अभी जीवन मझधार में हैं। कौन जाने कब क्या हो जायेगा। समय बहुत बलबान है।

Kabir garb na kijiye , rank na hasiye koi
Ajahu naw samudra me , na janon kya hoi.

No one should be proud , no one should laugh at poor
Presently the boat is in the sea no one knows what will be the fate.

अपना तो कोई नहीं,देखी ठोकि बजायी
अपना अपना क्या करि मोह भरम लपटायी।

बहुत प्रयत्न पूर्वक देखने के बाद भी संसार में अपना कोई नहीं है।
लोग माया मोह के भ्रम में संबंधों को अपना बोलते हैं। सभी सांसारिक संबंध क्षणिक होते हैं।

Apna to koi nahi , dekhi thoki bajayee
Apna apna kya karai moh bharam laptai .

None is my own , I have tested it properly
It is useless to tell about own , everyone is engrossed in delusion and doubt .

भक्ति भक्ति सब कोइ कहे भक्ति ना जाने भेद
पूरन भक्ति जब मिले, कृपा करै गुरु देव।

सभी व्यक्ति भक्ति की चर्चा करते हैं किंतु भक्ति में कोई भेदभाव नहीं होता ।
पूर्ण भक्ति तभी प्राप्त होती है जब गुरुदेव हमपर कृपा करते हैं।

Bhakti bhakti sab koi kahe bhakti na jane bhed
Puran bhakti jab milay , kripa karai guru deb .

Everybody talks of devotion, the devotion does not differentiate
When you get the complete devotion , it is the kindness of the teacher.

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।
loading...

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

loading...

क्रमरहित सूची

Recent Posts

ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.