भगतसिंह ने अपने विचार स्पष्ट रूप से इंडियन जनता के सामने रखे। उनके विचार में, क्रांति की तलवार विचारों की धार से ही तेज होती है। वे विचारधारात्मक क्रान्तिकारी हालात के लिए संघर्ष कर रहे थे। अपने विचारों पर हुए सभी वारों का उन्होंने तर्कपूर्ण उत्तर दिया। यह वार अंग्रेजी सरकार की ओर से किए गए या देशी नेताओं की ओर से अखबारों में। शहीद यतीन्द्रनाथ दास...
Quote 1: Let there be work, bread, water and salt for all. In Hindi : सभी के लिए काम, रोटी , पानी और नमक हो. Quote 2:It always seems impossible until its done. In Hindi : जब तक काम हो ना जाये वो असंभव लगता है. Quote 3:It is better to lead from behind and to put others in front, especially when you celebrate victory when nice things occur. You take...
सारिपुत्र (शारिपुत्र) और मोग्गल्लान बुद्ध के दो प्रमुख शिष्य ‘धम्म-सेनापति’ के नाम प्रसिद्ध हैं। सारिपुत्र का वास्तविक नाम उपतिस्स था। बौद्ध परम्परा में उन्हें सारिपुत्र का नाम इस कारण दिया गया था कि वे नालक निवासिनी रुपसारी के पुत्र (पुत्त) थे। उनका दृढ़ संकल्प बौद्ध इतिहास में विशेष तौर पर उल्लेखनीय है। गौतम बुद्ध के पुत्र राहुल की...
किसी गांव में राम नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती थे, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वो अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं! कभी-कभी वो इसी चिंता के कारण आवेश में आ जाता और दूसरों पर क्रोधित भी हो उठता। एक दिन उसके गांव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी का आगमन हुआ। खबर मिलते ही राम, महात्मा जी से मिलने पहुंचा और बोला, “ महात्मा जी...
बुर्जुआ जनवाद : संकीर्ण, पाखण्डपूर्ण, जाली और झूठा; अमीरों के लिए जनवाद और गरीबों के लिए झाँसा- लेनिन ”…केवल संसदीय-सांविधानिक राजतंत्रों में ही नहीं, बल्कि अधिक से अधिक जनवादी जनतंत्रों में भी बुर्जुआ संसदीय व्यवस्था का सच्चा सार कुछ वर्षों में एक बार यह फैसला करना ही है कि शासक वर्ग का कौन सदस्य संसद में जनता का दमन और उत्पीड़न करेगा।” (मार्क्स)...
पालि-परम्परा में ककुसन्ध बाईसवें बुद्ध हैं । ये खेमा वन में जन्मे थे। इनकी माता का नाम विशाखा था। इनकी पत्नी का नाम विरोचमना और पुत्र का नाम उत्तर था। शिरीष-वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान-प्राप्ति हुई और अपना प्रथम उपदेश इन्होंने मकिला के निकट एक उद्यान में, चौरासी हज़ार भिक्षुओं को दिया। भिक्षुओं में विधुर एवं संजीव इनके पट्टशिष्य थे और भिक्षुणियों...
…यदि स्थानीय पैमाने पर मज़बूत राजनीतिक संगठन प्रशिक्षित नहीं किये जाते, तो एक अखिल रूसी अख़बार का बहुत बढ़िया संगठन करने से भी कोई लाभ न होगा। बिल्कुल सही है। लेकिन यही तो असल बात है कि मज़बूत राजनीतिक संगठनों को प्रशिक्षित करने का एक अखिल रूसी अखबार के अलावा और कोई तरीक़ा नहीं है। ईस्क्रा ने अपनी ‘‘योजना’’ पेश करने से पहले जो महत्वपूर्ण बातें कही थी...
1899 के अन्त में लिखित।पहले पहल 1924 में प्रकाशित। अंग्रेजी से अनूदित इधर कुछ वर्षों से रूस में मजदूरों की हड़तालें बारम्बार हो रही हैं। एक भी ऐसी औद्योगिक गुबेर्निया नहीं है, जहाँ कई हड़तालें न हुई हों। और बड़े शहरों में तो हड़तालें कभी रुकती ही नहीं। इसलिए यह बोधगम्य बात है कि वर्ग-सचेत मजदूर तथा समाजवादी हड़तालों के महत्व, उन्हें संचालित करने...
शहर से कुछ दूर एक बुजुर्ग दम्पत्ती रहते थे . वो जगह बिलकुल शांत थी और आस -पास इक्का -दुक्का लोग ही नज़र आते थे . एक दिन भोर में उन्होंने देखा की एक युवक हाथ में फावड़ा लिए अपनी साइकिल से कहीं जा रहा है , वह कुछ देर दिखाई दिया और फिर उनकी नज़रों से ओझल हो गया .दम्पत्ती ने इस बात पर अधिक ...
एक बार अकबर के दरबार में बीरबल की अनुपस्तिथि में कुछ दरबारी बीरबल की बुराई कर रहे थे। अकबर ने उनसे पूछा, “बताओ सबसे बडी चीज क्या है?” किसी ने खुदा को तो किसी ने भूख को सबसे बडी चीज बताया. लेकिन महाराज संतुष्ट न हुए, उन्होनें गुस्से में कहा “अगर एक हफ्ते में सही जवाब नहीं दिया तो तुम्हें मौत की सजा दी जायेगी” सभी दरबारी घबरा गये। छठे दिन वे बीरबल...
30 सितम्बर, 1930 को भगतसिंह के पिता सरदार किशन सिंह ने ट्रिब्यूनल को एक अर्जी देकर बचाव पेश करने के लिए अवसर की माँग की। सरदार किशनसिंह स्वयं देशभक्त थे और राष्ट्रीय आन्दोलन में जेल जाते रहते थे। उन्हें व कुछ अन्य देशभक्तों को लगता था कि शायद बचाव-पक्ष पेश कर भगतसिंह को फाँसी के फन्दे से बचाया जा सकता है, लेकिन भगतसिंह और उनके साथी बिल्कुल अलग...
एक बार एक जंगल के निकट दो राजाओं के बीच घोर युद्ध हुआ। एक जीता दूसरा हारा। सेनाएं अपने नगरों को लौट गई। बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-बजाकर सेना के साथ गए भांड व चारण रात को वीरता की कहानियां सुनाते थे। युद्ध के बाद एक दिन आंधी आई। आंधी के ज़ोर में वह ढोल लुढकता-पुढकता एक सूखे पेड के पास जाकर टिक गया। उस पेड की सूखी टहनियां ढोल से...
कलिंग देश में शोभावती नाम का एक नगर है। उसमें राजा प्रद्युम्न राज करता था। उसी नगरी में एक ब्राह्मण रहता था, जिसके देवसोम नाम का बड़ा ही योग्य पुत्र था। जब देवसोम सोलह बरस का हुआ और सारी विद्याएँ सीख चुका तो एक दिन दुर्भाग्य से वह मर गया। बूढ़े माँ-बाप बड़े दु:खी हुए। चारों ओर शोक छा गया। जब लोग उसे लेकर श्मशान में पहुँचे तो रोने-पीटने की आवाज़...
एक बार की बात है दो व्यक्ति थे, जिनका नाम था मामा और फूफा। मामा और फूफा दोनों व्यापार करते थे और दोनों व्यापार में सहभागी थे। मामा ने फूफा से कहा,” फूफा क्यों ना हम कोई ऐसी वस्तु खरीद लें जो जल्दी खराब ना हो और उसकी कीमत भी बढती रहे; फिर हम उसे कुछ वर्षो बाद बेचें जिससे उसके मूलधन से ज्यादा दाम मिले।” फूफा ने कहा,”ठीक है मामा, तुम्हारी बात तो सही...
बुद्ध एक गाँव में उपदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि “हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए. क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा.” सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी . वह कुछ देर...
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा , ” आप कृपया इस दीपक को ले जाइए और दूसरा दीपक जला कर रख दीजिये।”...
आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर इंडियन इतिहास की धारा को बदल दिया । जब इस विशाल भूखंड कई भाषीय सभ्यता और अनेक राजा, महाराजाओं का भूखंड था उन्होंने अखंड राज्य की परिकल्पना की. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात...
एक तरफ़, धन और ऐशो-आराम बराबर बढ़ते जा रहे हैं और दूसरी तरफ़, करोड़ों-करोड़ आदमी, जो अपनी मेहनत से उस सारे धन को पैदा करते हैं, निर्धन और बेघरबार बने रहते हैं। किसान भूखों मरते हैं, मज़दूर बेकार हो इधर-उधर भटकते हैं, जबकि व्यापारी करोड़ों पूद* अनाज रूस से बाहर दूसरे देशों में भेजते हैं और कारख़ाने तथा फै़क्टरियाँ इसलिए बन्द कर दी जाती हैं कि माल बेचा...
कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था । और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे । पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था , वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते , कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता , यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते । इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही...
चन्द्रशेखर नगर में रत्नदत्त नाम का एक सेठ रहता था। उसके एक लड़की थी। उसका नाम था उन्मादिनी। जब वह बड़ी हुई तो रत्नदत्त ने राजा के पास जाकर कहा कि आप चाहें तो उससे ब्याह कर लीजिए। राजा ने तीन दासियों को लड़की को देख आने को कहा। उन्होंने उन्मादिनी को देखा तो उसके रुप पर मुग्ध हो गयीं, लेकिन उन्होंने यह सोचकर कि राजा उसके वश में हो जायेगा, आकर कह...