एक समय की बात है दियत्स नाम की नगरी एक नदी किनारे बसी हुई थी। वहां का राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा, “मंत्री बताओ यह नदी किस दिशा की ओर और कहाँ बहकर जाती है?” “महाराज, यह पूर्व दिशा की ओर बहती है और पूर्व की ओर स्तिथ देशो में बहकर समुन्द्र में मिल जाती...
दूसरों की नज़रों में अच्छा बनने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं, हम अपना पूरा जीवन ही इस वाक्य के लिए जी लेते हैं की – लोग क्या कहेंगे. यह अब तक मानव समाज में पाया गया सबसे बड़ा रोग हैं. इसी वाक्य पर निर्धारित यह बोलती कहानी जरूर पड़े सबसे बड़ा रोग लोग क्या कहेंगे. एक महिला का जन्मदिन था, एक पार्टी आयोजित की गई. पार्टी इसलिए आयोजित होनी चाहिए थी क़ि...
इकत्तीसवीं पुतली – कौशल्या ने अपनी कथा इस प्रकार कही- राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपने योगबल से उन्होंने यह भी जान लिया कि उनका अन्त अब काफी निकट है। वे राज-काज और धर्म कार्य दोनों में अपने को लगाए रखते थे। उन्होंने वन में भी साधना के लिए एक आवास बना रखा था। एक दिन उसी आवास में एक रात उन्हें अलौकिक प्रकाश कहीं दूर से आता मालूम पड़ा।...
शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का हाल जानने के लिए घूमा करता था। एक रोज उसने अपने मंत्री जाफर से कहा कि आज रात मैं वेश बदल कर घूमँगा, अगर देखूँगा कि कोई पहरेवाला अपने कार्य को छोड़...
तिब्बत में बहुत दिन पहले की बात है, दो आश्रम थे एक आश्रम तिब्बत की राजधानी लहासा में था और इसकी एक शाखा दूर कहीं पहाड़ों के भीतर थी। वह लामा, जो इस आश्रम का प्रधान था, बूढ़ा हो रहा था और वह चाहता था कि प्रमुख आश्रम से उसका उत्तराधिकारी बनने के लिए किसी को वहां भेजा जाए। उसने एक संदेश भेजा। एक लामा वहां गया–यह कुछ सप्ताह का पैदल मार्ग था।...
महिलरोपयम नामक एक दक्षिणी शहर के पास एक मंदिर था । वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए शहर में हर रोज जाते थे, और भोजन के लिए शाम को वापस आते थे। वे अपनी आवश्यकता से अधिक एकत्र कर लेते थे और बाकि का बर्तन में डाल कर गरीब मजदूरों में बाँट देते थे जो बदले में मंदिर की सफाई करते थे और उसे सजावट का काम किया करते...
एक दिन एक बौद्ध सन्यासी अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे हुए थे। उन्हें इस प्रकार बैठे हुए देख उनके शिष्य चिंतित हुए कि कहीं वे अस्वस्थ तो नहीं हैं। एक शिष्य ने उनसे पूछा कि आज वह मौन क्यों बैठे हैं। क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है ? इसी बीच एक अन्य शिष्य ने पूछा कि क्या वह अस्वस्थ हैं ? पर बौद्ध सन्यासी मौन रहे। तभी कुछ दूर खड़ा व्यक्ति जोर...
रामू काका अपनी ईमानदारी और नेक स्वाभाव के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द थे। एक बार उन्होंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर आमंत्रित किया। वे अक्सर इस तरह इकठ्ठा हुआ करते और साथ मिलकर अपनी पसंद का भोजन बनाते। आज भी सभी मित्र बड़े उत्साह से एक दुसरे से मिले और बातों का दौर चलने लगा। जब बात खाने को लेकर शुरू हुई तभी काका को एहसास हुआ कि नमक तो सुबह ही ख़त्म...
क्या आपने भी सुखद भविष्य की तैयारी की हैं जैसे आज की प्रथा हैं कि प्रेसिडेंट कुछ वर्षाे के लिए होते है। फिर नया चुनाव होता है । उसी तरह किसी एक देश में यह प्रथा थी कि हर साल में शासक बदले जाते थे। राजा बदल दिये जाते थे। जब राजा बदले जाते, तब पुराने राजा के सभी कपडे उतरावा लिये जाते थे और एक लंगोटी पहना दी जाती थी और बदन पर एक चादर डाल दिया जाता...
एक बार बुद्ध जब कपिलवस्तु पहुँचे तो अनेक उनके अनुयायी बने। देवदत्त भी उनमें से एक था। देवदत्त, सुपब्बुध (सुप्रबुद्ध) के पुत्र था और महात्मा बुद्ध के समकालीन था । वह बुद्ध से दीक्षित होकर बौद्धसंघ में शामिल हो गये था । प्रारंभ में बौद्धधरम के प्रति उसकी बड़ी आस्था थी और अल्प अवधि में ही उसकी गणना बुद्ध के प्रमुख ‘एकादश शिष्यों’ में होने...
एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद...
मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त कर रहे कुछ स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स डेवलप करने के बारे में बताया जा रहा था। कुछ देर पढ़ाने के बाद प्रोफेसर ने बच्चों को एक केस स्टडी सोल्व करने को दी। जापान की एक साबुन बनाने वाली कम्पनी अपनी क्वालिटी और वर्ल्ड क्लास प्रोसेसेज के लिए जानी जाती थी। पर आज उनके सामने एक अजीब समस्या आ खड़ी हुई , उन्हें...
कस्सप बुद्ध पालि परम्परा में परिगणित चौबीसवें बुद्ध थे । इनका जन्म सारनाथ के इसिपतन भगदाय में हुआ था, जहाँ गौतम बुद्ध ने वर्षों बाद अपना पहला उपदेश दिया था । काश्यप के धर्मपत्नी का नाम सुनन्दा था, तथा पुत्र का नाम विजितसेन। सम्बोधि के पूर्व उनकी धर्मपत्नी ने उन्हें खीर खिलाई थी और सोम नामक एक व्यक्ति ने आसने के लिए घास दिये थे। उनका बोधि-वृक्ष एक...
किसी गांव में राम नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती थे, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वो अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं! कभी-कभी वो इसी चिंता के कारण आवेश में आ जाता और दूसरों पर क्रोधित भी हो उठता। एक दिन उसके गांव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी का आगमन हुआ। खबर मिलते ही राम, महात्मा जी से मिलने पहुंचा और बोला, “ महात्मा जी...
1. यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. जो आदमी दुख का कारण बने उसकी हजारों साल जीना भी व्यर्थ है. 2. हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है. 3. जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख...
एक मेज, एक कुर्सी, एक कटोरा फल और एक वायलन; भला खुश रहने के लिए और क्या चाहिए? इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए. जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की. क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है. यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी. जो छोटी...
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे । उन के पास शिक्षा लेने हेतु कई शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, ” स्वामीजी आपके गुरु कौन है ? आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है ?” महंत शिष्य का सवाल सुन मुस्कुराए और बोले, ” मेरे हजारो गुरु हैं ! यदि मै उनके नाम गिनाने बैठ जाऊ तो शायद महीनो लग जाए। लेकिन...
एक बार अकबर ने बीरबल को बताया, ‘बीरबल, एक पेंटिंग बनाएं। इसमें कल्पना का प्रयोग करें ‘लेकिन हूज़ुर, मैं मंत्री हूं, मैं कैसे पेंट कर सकता हूं?’ राजा गुस्से में था और कहा, ‘अगर मुझे एक हफ्ते से अच्छी पेंटिंग नहीं मिलती तो आपको फांसी दी जाएगी!’ चतुर बीरबल को एक विचार आया । एक हफ्ते के बाद, वह दरबार में गया और एक कवर फ्रेम ले लिया। अकबर यह देखकर...
“मॉम .!!… “मैं सोच रही थी! कि आज रात को मैं शिखा के घर पर ही रुक जाऊंगी…थोडी़ कम्बाइन्ड स्टडी करनी है, वो परसों मैथ्स का टेस्ट है ना उसी की तैयारी करनी है”। किताबें समेंटते हुए चारू बोलती जा रही थी! “पर बेटा ..रात को ..किसी के घर रुकना मुझे तो ठीक नहीं लगता।” “मॉम!!”, नाराज होती हुई चारू ने कहा, “देखो ना पापा मां जाने नहीं दे रहीं।। पापा माँ पर...
दोस्तों ,जिंदगी है तो संघर्ष हैं,तनाव है,काम का दबाव है, ख़ुशी है,डर है !लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं हैं!समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं!कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म की, कभी स्थाई नहीं होती ,समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है! प्रेरणा का स्रोत ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप...