व्यापारी के पुत्र की कहानी ~ पंचतंत्र

किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। उसके पास एक भारी और मूल्यवान तराजू था। उसका वजन बीस किलो था। उसने अपने तराजू को एक सेठ के पास धरोहर रख दिया और व्यापार करने दूसरे देश चला गया। कई देशों में घूमकर उसने व्यापार किया और खूब धन कमाकर वह...

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मोम का शेर

सर्दियों के दिन थे, अकबर का दरबार लगा हुआ था। तभी फारस के राजा का भेजा एक दूत दरबार में उपस्थित हुआ। राजा को नीचा दिखाने के लिए फारस के राजा ने मोम से बना शेर का एक पुतला बनवाया था और उसे पिंजरे में बंद कर के दूत के हाथों अकबर को भिजवाया, और उन्हे चुनौती दी की इस शेर को पिंजरा खोले बिना बाहर निकाल कर दिखाएं। बीरबल की अनुपस्थिति के कारण अकबर सोच पड़...

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बीसवीं पुतली – ज्ञानवती ~ राजा विक्रमादित्य तथा ज्ञानियों की कद्र

बीसवीं पुतली – ज्ञानवती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों की बहुत कद्र करते थे। उन्होंने अपने दरबार में चुन-चुन कर विद्वानों, पंडितों, लेखकों और कलाकारों को जगह दे रखी थी तथा उनके अनुभव और ज्ञान का भरपूर सम्मान करते थे। एक दिन वे वन में किसी कारण विचरण कर रहे थे तो उनके कानों...

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माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी!

किसी नगर में मांडलिक नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम चडवती था। वह मालव देश के राजा की लड़की थी। उसके लावण्यवती नाम की एक कन्या थी। जब वह विवाह के योग्य हुई तो राजा के भाई-बन्धुओं ने उसका राज्य छीन लिया और उसे देश-निकाला दे दिया। राजा रानी और कन्या को साथ लेकर मालव देश को चल दिया। रात को वे एक वन में ठहरे। पहले दिन चलकर भीलों की नगरी में...

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पूँजी और श्रम के सम्बन्ध का निश्चित स्पष्टीकरण – फ्रेडरिक एंगेल्स

विज्ञान के इतिहास में मार्क्‍स ने जिन महत्त्वपूर्ण बातों का पता लगाकर अपना नाम अमर किया है, उनमें से हम यहाँ दो का ही उल्लेख कर सकते हैं। पहली तो विश्व इतिहास की सम्पूर्ण धारणा में ही वह क्रान्ति है, जो उन्होंने सम्पन्न की। इतिहास का पहले का पूरा दृष्टिकोण इस धारणा पर आधारित था कि सभी तरह के ऐतिहासिक परिवर्तनों का मूल कारण मनुष्यों के परिवर्तनशील...

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी की कहानी – अलिफ लैला

अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के दो मंत्री थे। एक का नाम था खाकान और दूसरे का सूएखाकान। खाकान उदार और क्षमाशील था और इसलिए बड़ा लोकप्रिय था। सूएखाकान उतना ही क्रूर और अन्यायी था और...

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मैं ऐसा क्यों हूँ ?

पट्टू तोता बड़ा उदास बैठा था . माँ ने पुछा , ” क्या हुआ बेटा तुम इतने  उदास क्यों हो ?” ” मैं अपनी इस अटपटी चोंच से नफरत करता हूँ !!”, पट्टू लगभग रोते हुए बोला . “तुम अपनी चोंच से नफरत क्यों करते हो ?? इतनी सुन्दर तो है !”, माँ ने समझाने की कोशिश की . “नहीं , बाकी सभी पक्षियों की चोंच कहीं अच्छी है …. बिरजू बाज , कालू कौवा , कल्कि कोयल … सभी की...

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संगती का असर

एक बार अकबर बीरबल बातचीत कर रहे थे कि बीरबल के मुँह से अपशब्द निकल पडा। अकबर ने खीजकर कहा, “बीरबल तुम दिन ब दिन बदतमीज होते जा रहे हो” बीरबल : “जी महाराज! पहले ऐसा नहीं था, पर अब संगत का असर आना स्वाभाविक है” ये सुनकर अकबर निरूत्तर हो गए।

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आठवीं पुतली पुष्पवती ~ विक्रमादित्य और काठ का घोड़ा!

आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजाने का शौक था। वे कलाकृतियों का मूल्य आँककर बेचनेवाले को मुँह माँगा दाम देते थे। एक दिन वे अपने दरबारियों के बीच बैठे थे कि किसी ने खबर दी कि एक आदमी काठ का घोड़ा बेचना चाहता है। राजा ने देखना चाहा कि उस काठ के घोड़े की विशेषता...

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कपिराज -जातक कथा

कभी एक राजा के बगीचे में अनेक बंन्दर रहते थे और बड़ी स्वच्छंदता से वहाँ कूद-फांद करते थे। एक दिन उस बगीचे के द्वार के नीचे राज-पुरोहित घूम रहा था। उस द्वार के ऊपर एक शरारती बंदर बैठा था। जैसे ही राज-पुरोहित उसके नीचे आया उसने उसके गंजे सर पर विष्ठा कर दि। अचम्भित हो पुरोहित ने चारों तरफ देखा, फिर खुले मुख से उसने ऊपर को देखा । बंदर ने तब उसके खुले...

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स्वर्ग की खोज

महाराज कृष्णदेव राय अपने बचपन में सुनी कथा अनुसार यह विश्वास करते थे कि संसार-ब्रह्मांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह स्वर्ग है। एक दिन अचानक महाराज को स्वर्ग देखने की इच्छा उत्पन्न होती है, इसलिए दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछते हैं, ” बताइए स्वर्ग कहाँ है ?” सारे मंत्रीगण सिर खुजाते बैठे रहते हैं पर चतुर तेनालीराम महाराज कृष्णदेव राय को स्वर्ग...

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लालची नाग और मेढकों का राजा ~ पंचतंत्र

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगडालू स्वभाव का था। आसपास दो तीन और भी कुएं थे। उनमें भी मेंढक रहते थे। हर कुएं के मेंढकों का अपना राजा था। हर राजा से किसी न किसी बात पर गंगदत्त का झगडा चलता ही रहता था। वह अपनी मूर्खता से कोई ग़लत काम करने लगता और बुद्धिमान मेंढक रोकने की कोशिश करता तो मौक़ा मिलते ही...

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चाणक्य नीति : तेरहवां अध्याय

1. यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. जो आदमी दुख का कारण बने उसकी हजारों साल जीना भी व्यर्थ है. 2. हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है. 3. जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख...

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अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहर की कहानी – अलिफ लैला

खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक कि खलीफा के आवास के लोगों में भी वह विश्वस्त था और महल की उच्च सेविकाएँ उसी के यहाँ से वस्त्राभूषण आदि लिया करती थीं। खलीफा का कृपापात्र होने के कारण...

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कबीर के दोहे – चेतावनी/Warning

अर्घ कपाले झूलता, सो दिन करले याद जठरा सेती राखिया, नाहि पुरुष कर बाद। तुम उस दिन को याद करो जब तुम सिर नीचे कर के झूल रहे थे। जिसने तुम्हें माॅं के गर्भ में पाला उस पुरुष-भगवान को मत भूलो। परमात्मा को सदा याद करते रहो। Argh kapale jhulta,so din kar le yad Jathra seti rakhiya,nahi purush kar bad. You remember the day when you were hanging with...

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काम के उचित दिन की उचित मज़दूरी – फ्रेडरिक एंगेल्स

(एंगेल्स ने यह लेख ‘दि लेबर स्टैण्डर्ड‘ के लिए मई 1-2, 1881 को लिखा था जो उसी वर्ष 7 मई को प्रकाशित हुआ था। इस लेख में एंगेल्स ने बताया है कि मज़दूर वर्ग का ऐतिहासिक लक्ष्य सिर्फ पूँजीपति वर्ग द्वारा तय तथाकथित उचित मज़दूरी को प्राप्त करना नहीं है। वास्तव में यह ”उचित मज़दूरी” उचित है ही नहीं। मज़दूर वर्ग का अन्तिम लक्ष्य अपने श्रम के उत्पादों पर...

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डॉ. बी.आर अम्बेडकर के प्रसिद्द कथन

एक महान  आदमी  एक  प्रतिष्ठित  आदमी  से  इस  तरह  से  अलग  होता  है  कि  वह  समाज  का  नौकर  बनने  को  तैयार  रहता  है . लोग और  उनके  धर्म  सामाजिक मानकों  द्वारा;  सामजिक  नैतिकता  के  आधार  पर  परखे  जाने  चाहिए . अगर  धर्म  को  लोगो  के  भले  के  लिए  आवशयक  मान  लिया  जायेगा तो  और    किसी  मानक  का  मतलब  नहीं  होगा . बुद्धि का   विकास ...

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शिव खेड़ा के अनमोल विचार

Quote 1:  Winners don’t do different things, they do things differently. In Hindi: जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को  अलग तरह से करते हैं. Quote 2: Winners see the gain; losers see the pain. In Hindi: जीतने वाले लाभ देखते हैं, हारने वाले दर्द. Quote 3: Under Adverse conditions – some people break down, some break records In Hindi: विपरीत...

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वृद्ध सन्यासी

बहुत समय पहले की बात है, एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था । वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली  थी। एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , ” बाबा, मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा है ठीक से बात तक नहीं करता ।” सन्यासी की जड़ी-बूटी ” युद्ध लोगों के...

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दरजी की जबानी नाई की कहानी – अलिफ लैला

खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्राणदंड दूँगा। कोतवाल ने बड़ी दौड़-धूप की और निश्चित अवधि में उन्हें पकड़ लिया। वे नदी पार पकड़े गए थे इसलिए उन्हें नाव पर बिठा कर लाया गया। मैं ने, जो...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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