परेशान चिड़िया

कैसोवैरी चिड़िया को बचपन से ही बाकी चिड़ियों के बच्चे चिढाते थे। कोई कहता, ” जब तू उड़ नहीं सकती तो चिड़िया किस काम की।”, तो कोई उसे ऊपर पेड़ की डाल पर बैठ कर चिढाता कि,” अरे कभी सकारात्मक सोच पर कहानी सुनने हमारे पास भी आ जाया करो…जब देखो जानवरों की तरह नीचे चरती रहती हो…” और ऐसा बोलकर सब के सब खूब हँसते! कैसोवैरी चिड़िया शुरू-शुरू में इन बातों का बुरा...

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छोटा पत्थर

एक किसान था । वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था । उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे । रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ , एक बार फिर किसान का हल पत्थर से...

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अडोल्फ़ हिटलर के अनमोल विचार

विजेता से कभी नहीं पूछा जायेगा कि क्या उसने सच कहा था. सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं।  वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं , जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं . सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें  जिन तक पहुचाना है उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी...

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सावत्थि -जातक कथा

चमत्कार बुद्ध कथाओं व आख्यायिकों का महत्त्वपूर्ण अंग है । बुद्ध के जन्म के साथ अनेकों अद्भुत, दैविक एवं चमत्कारिक घटनाओं का प्रचुर आख्यान अनेकों स्थान पर उपलब्ध व प्रचलित हैं । होसकता है बुद्ध की सिक्ष्याओंको आकर्षित करने के लिए उनके छद्म अनुयायियों ने चमत्कार कल्पनाओं को कहानी सिक्ष्याओं में जोडे हो लेकिन बुद्ध की प्रमुख सिक्ष्याओं जैसे अष्टांग...

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आखिरी सन्देश

ऋषिकेश के एक प्रसिद्द महात्मा बहुत वृद्ध हो चले थे और उनका अंत निकट था . एक दिन उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा , ” प्रिय शिष्यों मेरा शरीर जीर्ण हो चुका है और अब मेरी आत्मा बार -बार मुझे इसे त्यागने को कह रही है , और मैंने निश्चय किया है कि आज के दिन जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा तब मैं इहलोक त्याग दूंगा .” गुरु की वाणी सुनते ही...

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मज़दूरों का राजनीतिक अख़बार एक क्रान्तिकारी पार्टी खड़ी करने के लिए ज़रूरी है – लेनिन

…यदि स्थानीय पैमाने पर मज़बूत राजनीतिक संगठन प्रशिक्षित नहीं किये जाते, तो एक अखिल रूसी अख़बार का बहुत बढ़िया संगठन करने से भी कोई लाभ न होगा। बिल्कुल सही है। लेकिन यही तो असल बात है कि मज़बूत राजनीतिक संगठनों को प्रशिक्षित करने का एक अखिल रूसी अखबार के अलावा और कोई तरीक़ा नहीं है। ईस्क्रा ने अपनी ‘‘योजना’’ पेश करने से पहले जो महत्वपूर्ण बातें कही थी...

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गन्दी शुरुआत

हरिया एक गांव में ही खेती करता था। खेती के लिए जमीन तो बहुत ज्यादा नहीं थी लेकिन हरिया के छोटे से परिवार के पालन पोषण के लिए काफी थी। हरिया सुबह बैल लेकर खेत की ओर निकलता फिर शाम को ही वापस आता था। एक दिन हरिया का बैल बीमार पड़ गया। 2 बैलों की जोड़ी में अब केवल एक ही बैल बचा था, दूसरे बैल को तेज बुखार था। हरिया अपने बैल की दशा देखकर बड़ा दुखी हुआ। इस...

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पेट का दूत -जातक कथा

वाराणसी में एक राजा राज करता था। उसके दो ही शौक थे। एक तो वह अतिविशिष्ट व्यंजनों का भोजन करना चाहता था ; और दूसरा वह यह चाहता था कि लोग उसे खाता हुआ देखें। एक दिन जब वह लोगों के सामने बैठा नाना प्रकार की चीजें खा रहा था, तभी एक व्यक्ति चिल्लाता हुआ उस के पास आया। वह कह रहा था, ” वह एक दूत है।” सिपाहियों ने जब उसे रोकना चाहा तो राजा ने...

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मेहमान और बीरबल का किस्सा

मेहमान को पहचानना बीरबल को एक अमीर आदमी द्वारा दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था। बीरबल उस आदमी के घर गया और उसे लोगों से भरे हुए एक हॉल में मिला। उसके मेजबान ने बीरबल का गर्मजोशी से स्वागत किया “मुझे नहीं पता था कि इतने सारे मेहमान होंगे,” बीरबल ने कहा कि वह बडी सभाओं से नफरत करता है। आदमी ने कहा, “वे मेहमान नहीं हैं” “वे मेरे कर्मचारी...

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बुद्धिमान् मुर्गा -जातक कथा

अपने सैकड़ों रिश्तेदारों के साथ किसी वन में एक मुर्गा रहता था । अन्य मुर्गों से वह कहीं ज्यादा बड़ा और हृष्ट-पुष्ट भी था । उसी वन में एक जंगली बिल्ली रहती थी । उसने मुर्गे के कई रिश्तेदारों को मार कर चट कर लिया था । उसकी नज़र अब उस मोटे मुर्गे पर थी । अनेक यत्न करने पर भी वह उसे पकड़ नहीं पाती थी । अँतत: उस ने जुगत लगाई और एक दिन उस पेड़ के नीचे पहुँची...

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विद्यार्थियों के नाम पत्र – भगत सिंह (1929)

भगत सिंह और बुटकेश्वर दत्त की ओर से जेल से भेजा गया यह पत्र 19अक्तूबर, 1929 को पंजाब छात्र संघ, लाहौर के दूसरे अधिवेशन में पढ़कर सुनाया गया था। अधिवेशन के सभापित थे सुभाषचंद्र बोस।- सं. इस समय हम नौजवानों से यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठाएँ। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण काम है। आनेवाले लाहौर अधिवेशन में कांग्रे़स देश...

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कोलुशा – मैक्सिम गोर्की

कब्रिस्तान का वह कोना, जहाँ भिखारी दफ़नाये जाते हैं। पत्तों से छितरे, बारिश से बहे और आँधियों से जर्जर कब्रों के ढूहों के बीच, दो मरियल-से बर्च वृक्षों के जालीदार साये में, जिघम के फटे-पुराने कपड़े पहने और सिर पर काली शॉल डाले एक स्त्री एक कब्र के पास बैठी थी। सफ़ेद पड़ चले बालों की एक लट उसके मुरझाये हुए गाल के ऊपर झूल रही थी, उसके महीन होंठ कसकर...

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एक कप कॉफ़ी

जापान के टोक्यो शहर के निकट एक कस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था . एक बार एक व्यक्ति उस कसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह -सुबह वहाँ पहुंचा . कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी -शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा कि मैं यहाँ बैठ कर चुप -चाप लोगों को देखता हूँ , और वह धीरे -धीरे आगे बढ़ते हुए शॉप के अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया . कॉफ़ी...

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चाणक्य नीति : सोलहवां अध्याय

1. स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है. 2. मुर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार करती है. वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है. 3. ऐसा यहाँ कौन नहीं है जिसमे दौलत पाने के बाद गर्व नहीं आई...

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गधे का रास्ता

एक छोटे से गाँव में भोलू नाम का एक गधा रहता था। वह गाँव बाकी दुनिया से बिलकुल कटा हुआ था, न वहां कोई आता था और न वहां से कोई कहीं जाता था। एक बार गधे ने सोचा क्यों ना जंगल के उस पार जाकर देखा जाए कि आखिर उस तरफ है क्या? अगले दिन भोर में ही वह जंगल की ओर बढ़ चला। जंगल घना था और गधा मूर्ख। बिना सोचे समझे उसे जिधर मन करता उधर चल पड़ता। जैसे-तैसे करके...

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पच्चीसवीं पुतली – त्रिनेत्री ~ ईश्वर से आस

पच्चीसवीं पुतली – त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है: राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी वेश बदलकर घूमा करते थे तथा खुद सारी समस्या का पता लगाकर निदान करते थे। उनके राज्य में एक दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे। वे दोनों अपना कष्ट अपने तक ही सीमित रखते हुए जीवन-यापन कर रहे थे तथा कभी किसी के...

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कॉफी का कप

दोस्तों का एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अपने-अपने करियर में बहुत अच्छा कर रहे थे और खूब पैसे कमा रहे थे। जब आपस में मिलते -जुलते काफी वक़्त बीत गया तो उन्होंने अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिलने का निश्चय किया। प्रोफेसर साहब ने उन सभी का स्वागत किया और बारी-बारी से उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात...

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कुशल जुआरी -जातक कथा

एक रईस नौजवान जुआरी एक बार रात काटने के लिए एक सराय में रुका । उस सराय में भी कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। नौजवान भी उन लोगों के साथ जुआ खेलने लगा । जुआ खेलते हुए उसने देखा कि एक जुआरी बड़ी सफाई से खेल की कौड़ी को मुँह में डाल दूसरी कौड़ी को खेल के स्थान में रख देता था, जिससे उसकी जीत हो जाती थी। नौजवान ने तब उस बेईमान जुआरी को सबक सिखाने की ठानी। उस रात...

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मजदूरों जैसी ज़िन्दगी

हजरत सिद्दीक अकबर रज़ी० खलीफा हो गए थे. उनके वेतन पर विचार किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मदीने में एक मजदूर की रोजाना की कमाई कितनी है… उतनी ही रक़म मेरे लिए भी तय कर दी जाये. यह सुन,साथियों में से कोई बोला- सिद्दीक इतनी कम रक़म में आपका गुज़ारा कैसे होगा ? हजरत सिद्दीक ने जवाब दिया- मेरा गुज़ारा उसी तरह होगा जिस तरह एक मजदूर का होता है. अगर न...

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मज़दूरों के महान नेता कार्ल मार्क्स की समाधि पर भाषण – फ़्रेडरिक एँगेल्स

14 मार्च को तीसरे पहर, पौने तीन बजे, संसार के सबसे महान विचारक की चिन्तन-क्रिया बन्द हो गयी। उन्हें मुश्किल से दो मिनट के लिए अकेला छोड़ा गया होगा, लेकिन जब हम लोग लौटकर आये, हमने देखा कि वह आरामकुर्सी पर शान्ति से सो गये हैं — परन्तु सदा के लिए। इस मनुष्य की मृत्यु से यूरोप और अमेरिका के जुझारू सर्वहारा वर्ग की और ऐतिहासिक विज्ञान की अपार क्षति...

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