सम्राटअशोक के प्रसिद्द कथन

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अशोक महान / Ashoka The Great को इंडिया के महानतम सम्राटों में गिना जाता है। अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था । अशोक के पिता का नाम सम्राट बिन्दुसार तथा माता का नाम रानी धर्मा था । अशोक का साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफ़गानिस्तान तक फैला हुआ था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा साम्राज्य माना जाता है। उस समय में “भारत” या “इंडिया” नाम का  कोई भी देश नहीं था। इतिहास के अनुसार  मौर्य साम्राज्य  ईसा पूर्व  २६३ में सबसे बड़ा संयुक्त तथा सबसे बड़ा संगठित राज्य था जो आज इंडिया, भारत और हिंदुस्तान के नामसे मशहूर है । इंडिया का पहला प्रमुख धर्म “बुद्ध धर्म” था जो ईसा पूर्व  १८५ के बाद बटकर  ज्यादातर ब्राह्मणबाद जातिबादी सनातन धर्म और इस्लाम धर्म में पारिबर्तित होगया है ।

राजा अशोक ने ईसा पूर्व  २६२ – २६१ में कलिंग के बौद्ध सभ्यतासे प्रभाबित होकर बौद्ध धर्म को अपनाया और इस धर्म को अपना राज्य का धर्म बनालिया । आगे चल कर उन्होंने बौद्ध धर्म को पूरे एशिया में  प्रचार-प्रसार किया।

सम्राटअशोक के प्रसिद्द कथन:

  1. जानवरों व अन्य प्राणियों को मारने वालो के लिए किसी भी धर्म में कोई जगह नहीं हैं.
  1. किसी भी व्यक्ति को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए.
  1. सबसे महान जीत प्रेम की होती है. यह हमेशा के लिए दिल जीत लेती है.
  1. किसी भी दूसरे सम्प्रदायों की निंदा करना गलत है, असली आस्तिक वही है जो उन सम्प्रदायों में जो कुछ भी अच्छा है उसे सम्मान देता है.
  1. सफल राजा वही होता हैं, जिसे पता होता हैं कि जनता को किस चीज की जरूरत हैं.
  1. कोई भी व्यक्ति जो चाहे प्राप्त कर सकता हैं, बस उसे उसकी उचित कीमत चुकानी होगी.
  1. एक राजा से ही उसकी प्रजा की पहचान होती हैं.
  1. आप नहीं जानते कि मैं किस हद तक यह चाहता हूँ और अगर कुछ लोग समझते भी है तो वे यह नहीं समझते कि मेरी इस इच्छा की पूरी हद क्या है.
  1. मैंने जानवरों और कई अन्य प्राणियों को मारने के खिलाफ कानून बनाया है लेकिन लोगों के बीच धर्म की सबसे बड़ी प्रगति जीवित प्राणियों को चोट न पहुंचाने और उन्हें मारने से बचाने का उपदेश देने से आती है.
  1. हमें कई कारणों से अन्य धर्मों का सम्मान करना चाहिए. ऐसा करने से आप अपने धर्म को विकसित करने में मदद करते हैं और दुसरे धर्मों को भी सेवा प्रदान करते है.
  1. दूसरो के द्वारा बताये गये सिद्धांतो को सुनने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए.
  1. अपने सम्प्रदाय की गरिमा दिखाने के उद्धेश्य से किसी का आदर नहीं करना चाहिए और न ही किसी और के सम्प्रदाय को नीचा दिखाना चाहिए.
  1. तीन कार्य जो हमें सदा स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, ” माता-पिता का सम्मान, सभी जीवो पर दया, और सत्य वचन ”.
  1. जितना कठिन संघर्ष करोगे, आपके जीत कि ख़ुशी भी उतनी ही बढ़ जयेगी.
  1. वह व्यक्ति जो अपने सम्प्रदाय को ऊँचा दिखाने के लिए दूसरे संप्रदाय का मजाक बनाता है, वह ऐसा करके अपने ही सम्प्रदाय को बहुत नुकसान पहुंचाता है.
  1. हमें अपने माता – पिता का आदर करना चाहिए और अपने से बड़ों का भी. जो जीवित प्राणी है उनके प्रति दया दिखानी चाहिए और हमेशा सच बोलना चाहिए.
  1. आप सभी मेरे बच्चे के समान हैं. मैं इस दुनिया में और मरने के बाद भी हद से ज्यादा आपका भला और ख़ुशी चाहता हूँ.
  1. हर धर्म हमें प्रेम, करुणा और भलाई का पाठ पढाता हैं. अगर हम इसी दिशा में आगे बढे तो कभी किसी के बीच कोई विवाद ही नहीं होगा.
  1. अपने धर्म की प्रगति इसी में हैं कि हम अन्य धर्म का भी सम्मान करे.
  1. अपने धर्म का सम्मान और दुसरो के धर्म की निंदा करना किसी धर्म में नहीं बताया गया हैं.
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