मौत का सौदागर

loading...

1888 की बात है, एक व्यक्ति सुबह-सुबह उठ कर अखबार पढ़ रहा था , तभी अचानक उसकी नज़र एक “शोक – सन्देश ” पर पड़ी। वह उसे देख दंग रह गया , क्योंकि वहां मरने वाले की जगह उसी का नाम लिखा हुआ था। खुद का नाम पढ़कर वह आश्चर्यचकित तथा भयभीत हो गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अखबार ने उसके भाई लुडविग की मरने की खबर देने की जगह खुस उसके मरने की खबर प्रकाशित कर दी थी। खैर , उसने किसी तरह खुद को समभाला, और सोचा , चलो देखते हैं की लोगों ने उसकी मौत पर क्या प्रतिक्रियाएं दी हैं।

उसने पढ़ना शुरू किया, वहां फ्रेंच में लिखा था , “”Le marchand de la mort est mort” यानि , “मौत का सौदागर” मर चुका है”

यह उसके लिए और बड़ा आघात था , उसने मन ही मन सोचा , ” क्या उसके मरने के बाद लोग उसे इसी तरह याद करेंगे ?”

यह दिन उसकी ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइंट बन गया, और उसी दिन से डायनामाइट का यह अविष्कारक विश्व शांति और समाज कल्याण के लिए काम करने लगा। और मरने से पहले उसने अपनी अकूत संपत्ति उन लोगों को पुरस्कार देने के लिए दान दे दी जो विज्ञान और समाज कलायन के क्षत्र में उत्कृष्ट काम करते हैं।

मित्रों , उस महान व्यक्ति का नाम था , ऐल्फ्रेड बर्नार्ड नोबेल , और आज उन्ही के नाम पर हर वर्ष “नोबेल प्राइज ” दिए जाते हैं। आज कोई उन्हें “मौत के सौदागर के रूप” में नहीं याद करता बल्कि हम उन्हें एक महान वैज्ञानिक और समाज सेवी के रूप में याद किया जाता है।

जीवन एक क्षण भी हमारे मूल्यों और जीवन की दिशा को बदल सकता है , ये हमें सोचना है की हम यहाँ क्या करना चाहते हैं ? हम किस तरह याद किये जाना चाहते हैं ? और हम आज क्या करते हैं यही निश्चित करेगा की कल हमें लोग कैसे याद करेंगे ! इसलिए , हम जो भी करें सोच-समझ कर करें , कहीं अनजाने में हम “मौत के सौदागर” जैसी यादें ना छोड़ जाएं !

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।
loading...

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

loading...

क्रमरहित सूची

Recent Posts

ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.